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दस लाख टन चीनी और निर्यात की गुंजाइश
Date: 06 Mar 2012
Source: बिजनेस भास्कर
Reporter: बिजनेस भास्कर ब्यूरो
News ID: 970
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मांग बनाम उपलब्धता

260 लाख टन चीनी उत्पादन होने का अनुमान है चालू पेराई सीजन में

243 लाख टन चीनी उत्पादन हुआ था पिछले साल देश में

220 से 225 लाख टन चीनी की सालाना खपत है घरेलू बाजार में

देश में चीनी के बकाया स्टॉक को देखते हुए करीब दस लाख टन चीनी का अतिरिक्त निर्यात संभव है। केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने सोमवार को दिल्ली में पत्रकारों से कहा कि चालू पेराई सीजन में चीनी के उत्पादन और घरेलू मांग को देखते हुए और दस लाख टन के निर्यात की गुंजाइश है। कृषि मंत्री ने कहा कि केंद्रीय पूल में खाद्यान्न के बंपर स्टॉक और रिकार्ड पैदावार को देखते हुए गेहूं व गैर-बासमती चावल का भी दस लाख टन का अतिरिक्त निर्यात किए जाने की गुजांइश है।

सरकार चालू पेराई सीजन में ओपन जरनल लाइसेंस (ओजीएल) के तहत पहले ही 20 लाख टन चीनी के निर्यात को अनुमति दे चुकी है। जिसमें से 10 लाख टन का निर्यात भी हो चुका है। बाकी दस लाख टन के निर्यात के लिए भी चीनी मिलों को रिलीज आर्डर जारी किए जा रहे हैं।

चालू पेराई सीजन 2011-12 के दौरान देश में चीनी का उत्पादन पिछले साल के 243 लाख टन से बढ़कर 260 लाख टन होने का अनुमान है। जबकि घरेलू बाजार में चीनी की सालाना खपत 220 से 225 लाख टन की होती है। चालू रबी सीजन में देश में गेहूं का रिकार्ड उत्पादन 883.1 लाख टन होने का अनुमान है जबकि चावल का उत्पादन 1027.5 लाख टन के रिकॉर्ड स्तर पर रहने का अनुमान है।

पिछले फसल वर्ष में 868.7 लाख टन गेहूं व 959.8 लाख टन चावल का उत्पादन हुआ था। पवार ने कहा कि केंद्रीय पूल में खाद्यान्न के भारी-भरकम स्टॉक को देखते हुए प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा बिल को लागू करने में आसानी होगी।

राष्ट्रीय खरीफ सम्मेलन 2012 के उद्घाटन के अवसर पर शरद पवार ने कहा कि कृषि क्षेत्र के विकास के लिए मिट्टी की उर्वरता और पोषण प्रबंधन को उच्च प्राथमिकता देने की आवश्यकता है। मिट्टी की जांच के आधार पर फसलों का चुनाव करने से उत्पादकता ज्यादा होगी। इसके अलावा कम्पोस्ट खाद, फसल के अवशेषों और जैविक कम्पोस्ट का इस्तेमाल करके जिंसों की उत्पादकता बढ़ाई जा सकती है।

पूर्वी भारत और वर्षा प्रभावित क्षेत्र के लिए उत्पादकता बढ़ाने के लिए उन्होंने कहा कि पूर्वी भारत में हरित क्रांति योजना (बीजीआरईआई) का उद्देश्य चावल की उत्पादकता में सुधार लाना है। वहीं वर्षा प्रभावित क्षेत्र विकास कार्यक्रम (आरएडीपी) इन क्षेत्रों में समन्वित कृषि के माध्यम से खाद्य और आजीविका सुरक्षा बढ़ाने पर जोर देता है। इस वर्ष भी सरकार अपना प्रयास जारी रखेगी।
 
  

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