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अधिकतर रिफाइनरियां हुईं बंद
Date: 29 Apr 2017
Source: Business Standard
Reporter: Dilip Kumar Jha
News ID: 8611
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सरकार द्वारा एक फॉर्मूले के जरिये चीनी मिलों के बीच समान रूप से आयात कोटा आवंटित करने के दावों के बावजूद कई रिफाइनरियों का कहना है कि उनके लिए आवंटित कोटा परिचालन पुन: शुरू करने के लिहाज से उपयुक्त नहीं है। उद्योग के सूत्रों के अनुसार कुछ बड़ी चीनी रिफाइनरियों को छोड़कर ज्यादातर रिफाइनरियों (खासकर दक्षिण और पश्चिम भारतीय राज्यों में) ने फरवरी-मार्च में गन्ना पेराई का काम पूरा होने के बाद चालू सत्र के लिए अपनी उत्पादन इकाइयों को बंद कर दिया है। इन उत्पादन इकाइयों को गन्ने की उपलब्धता नहीं होने की वजह से सामान्य सीजन के मुकाबले लगभग 45 दिन पहले ही बंद किया जा चुका है। हालांकि कुछ बड़ी गन्ना मिलों ने बेहद कम परिचालन क्षमता के साथ अपना परिचालन बरकरार रखा है। 
 
ज्यादातर रिफाइनरियों के लिए आवंटित गन्ने की मात्रा उनकी औसत मासिक क्षमता के महज 8-12 दिन के लिए ही है। इसलिए 15 दिन से कम की कच्ची चीनी की उपलब्धता के साथ पेराई को पुन: शुरू करना व्यावहारिक नहीं रह गया है। इसलिए कुछ रिफाइनरियों को छोड़कर ज्यादातर के लिए कच्ची चीनी का आयात शुरू करना फायदेमंद नहीं होगा। वैकल्पिक तौर पर ऐसी मिलों को अपनी आवंटित मात्रा छोडऩी होगी जिसका बड़ी कंपनियों को छोटी मिलों की क्षमता में सेंध लगाने का मौका मिल सकता है।
 
महाराष्टï्र स्टेट फेडरेशन ऑफ को-ऑपरेटिव शुगर फैक्टरीज के प्रबंध निदेशक संजीव बाबर ने कहा, 'छोटी मिलों को आवंटित मात्रा आयातित कच्ची चीनी की रिफाइनिंग शुरू करने के लिहाज से उपयुक्त नहीं है। इसलिए, शायद उन्हें विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) से अनुमति के बाद अपना आयात कोटा बड़ी मिलों को बेचना होगा या फिर उन्हें डीजीएफटी को अपने कोटे को सौंपना होगा।'
 
5 लाख टन कच्ची चीनी का आयात करने के लिए डीजीएफटी को 40 से अधिक मिलों से 27.9 लाख टन के अनुरोध प्रस्ताव प्राप्त हुए। डीजीएफटी ने दावा किया है कि उसने 5 लाख टन की प्रस्तावित आयात मात्रा के आवंटन के लिए एक फॉर्मूला तैयार किया है। हालांकि इस फॉर्मूले के आधार पर चेन्नई की आईएसपी शुगर रिफाइनरी प्राइवेट लिमिटेड को अपनी 900 टन की मासिक क्षमता की तुलना में महज 370 टन का आवंटन प्राप्त हुआ। वहीं श्री रेणुका शुगर्स (एसआरएस) अपने हल्दिया संयंत्र के लिए 50,000 टन की क्षमता हासिल करने में सफल रही। उसके हल्दिया संयंत्र की कुल क्षमता 75,000 टन की है। 
 
बेलगाम में अपने अठाणी और मनोली संयंत्रों के लिए कंपनी को 14,786 टन और 19,715 टन का आवंटन मिला जबकि इन संयंत्रों की कुल क्षमता 36,000 टन और 48,000 टन है। एसआरएस को अपने बहरापुर (गुजरात) संयंत्र के लिए 66,458 टन का आवंटन प्राप्त हुआ। यह संयंत्र 120,000 टन की मासिक क्षमता के साथ परिचालन करता है। इस बीच, ईआईडी पैरी और तिरु आरूरन शुगर्स जैसी कंपनियों को भी अपनी कार्य क्षमता के 8-12 दिन के बराबर आवंटन मिला है। श्री रेणुका शुगर्स के प्रबंध निदेशक नरेंद्र मुरकुम्बी का कहना है, 'हम टैरिफ रेट कोटा (टीआरक्यू) की तेज और पारदर्शी प्रक्रिया का स्वागत करते हैं। मंजूरी के बाद रिफाइनिंग अवधि को 60 दिन तक सीमित किए जाने से यह सुनिश्चित होगा कि रिफाइंड चीनी त्योहारी सीजन में उपलब्ध होगी।' 
 
  

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