•  
  • Welcome Guest!
  • |
  • Members Log In Close Panel
  •  
Home
 
  • Home
  • About us
  • Ethanol
  • Cogeneration
  • Environmental
  • Statistics
  • Distillery
  • Sugar Price
  • Sugar Process
  • Contact us

News


चीनी मिले चुकाएँगी 1100 करोड़
Date: 18 Jan 2012
Source: बिज़्नेस भास्कर
Reporter: बिज़्नेस भास्कर बुयूरो
News ID: 861
Pdf:
Nlink:
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों को किसानों को पेराई सीजन 2006-07 और 2007-08 के बकाया भुगतान के रूप में गन्ना किसानों को करीब 1,100 करोड़ रुपए का भुगतान करने का आदेश दिया है। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी आदेश के अनुसार चीनी मिलों को अगले तीन महीने में इसका भुगतान करना होगा।

इस कदम का फायदा उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के गन्ना किसानों को मिलेगा। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि सुप्रीम के इस आदेश का राजनीतिक लाभ लेने की स्थिति में कोई भी बड़ा राजनीतिक दल नहीं है जबकि इन दोनों राज्यों में विधान सभा चुनाव होने जा रहे हैं। हालांकि कांग्रेस को इसका फायदा हो सकता था क्योंकि किसानों के पक्ष में याचिका दायर करने वाले राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के संयोजक वी.एम. सिंह हाल तक कांग्रेस में थे लेकिन कुछ राजनीतिक मतभेदों के चलते वह कांग्रेस से अलग हो चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला पेराई सीजन 2006-07 और 2007-08 के लिए चीनी मिलों पर किसानों के बकाया राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी)के आधार पर भुगतान के लिए है। इस अवधि के लिए चीनी मिलों ने सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम आदेश के आधार पर भुगतान किया था जिसके आधार पर 2007-08 के लिए मिलों पर गन्ना किसानों का 15 रुपए प्रति क्विंटल का बकाया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक चीनी मिलों को यह भुगतान तीन माह की अवधि के भीतर करना है। एसएपी तय करने के राज्यों के संवैधानिक अधिकार का मामला सुप्रीम कोर्ट के सात न्यायाधीशों की बड़ी बैंच को भेजने का फैसला भी सुप्रीम कोर्ट ने लिया है।

सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश उत्तर प्रदेश के करीब 50 लाख गन्ना किसानों के लिए फायदेमंद साबित होगा। लेकिन जहां 2006-07 में राज्य में समाजवादी पार्टी की सरकार थी वहीं 2007-08 में मायावती की बसपा सरकार थी। ऐसे में कांग्रेस को इसका राजनाीति फायदा हो सकता था लेकिन अब शायद उसे भी इसका फायदा नहीं मिलेगा। संयोग की बात है कि एसएपी के लिए राजेयं के अधिकार को जायज ठहराने वाला फैसला 2004 के लोक सभा चुनावों के अंतिम दौर के चुनावों एकदम पहले आया था और अब यह राज्य के विधान सभा चुनावों की प्रक्रिया के दौरान आया है। इस फैसले पर बिजनेस भास्कर के साथ बात करते हुए वी.एम. सिंह ने कहा कि 2004 में और उसके बाद अब दोनों बार सुप्रीम कोर्ट ने किसानों के लिए न्याय किया है हम सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद देना चाहते हैं। इसके चलते किसानों का विश्वास न्यायपालिका में और अधिक मजबूत होगा।

राजनीतिक सवाल पर उनका कहना है कि आगामी चुनाव में इसका फायदा राज्य में किसी पार्टी को मिलने वाला नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद शुगर कंपनियों के शेयरों में भी गिरावट दर्ज की गई। चीनी उद्योग संगठन इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन एक पदाधिकारी का कहना है कि इससे उद्योग पर भारी बोझ पड़ेगा लेकिन राज्यों के एसएपी के अधिकार का मामला बड़ी बैंच को जाने से हमें भविष्य में कुछ राहत जरूर मिलती दिखती है। उनके मुताबिक अधिकांश बकाया 2007-08 के सीजन का है क्योंकि उस साल 75 करोड़ क्विंटल गन्ने की पेराई हुई थी। उसके चलते यह बकाया करीब 1100 करोड़ रुपये से ज्यादा बैठता है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश से उत्तर प्रदेश की प्रमुख शुगर कंपनियों के शेयरों में गिरावट दर्ज की गई। प्रमुख शुगर कंपनी बजाज हिंदुस्तान लिमिटेड के शेयरों में 2.79 फीसदी की गिरावट आकर भाव 29.60 रुपये रह गया। बलरामपुर चीनी मिल्स के शेयरों में इस दौरान 3.68 फीसदी की गिरावट आकर भाव 39.25 रुपये रह गए। मवाना शुगर लिमिटेड के शेयरों में 1.37 फीसदी की गिरावट आकर भाव 16.50 रुपये रह गए।
 
  

Navigation

  • TV Interviews
  • Application Form For Associate Membership
  • Terms & Conditions (Associate Member)
  • ISMA President
  • Org. Structure
  • Associate Members(Regional Association)
  • Who Could be Member?
  • ISMA Committee
  • Past Presidents
  • New Developments
  • Publications
  • Acts & Orders
  • Landmark Cases
  • Forthcoming Events




Indian Sugar Mills Association (ISMA) © 2010 Privacy policy
Legal Terms & Disclaimer
 Maintained by