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उप्र: गन्ना कीमत कर्नाटक जैसे
Date: 20 Apr 2017
Source: Business Standard
Reporter: बीएस संवाददाता
News ID: 8584
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उत्तर प्रदेश की योगी सरकार राज्य में गन्ना मूल्य निर्धारण की पुरानी व्यवस्था को बदलेगी। अब उत्तर प्रदेश में भी महाराष्ट्र और कर्नाटक की तर्ज पर गन्ने की कीमतें तय की जाएंगी। चीनी मिल मालिकों की इस बहुप्रतीक्षित मांग को मानते हुए प्रदेश सरकार नई प्रक्रिया का पालन करते हुए गन्ना मूल्य का निर्धारण करेगी। प्रदेश में अगले पेराई सत्र से पांच नई चीनी मिलें चलेंगी।
 
प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सत्ता संभालने के बाद उत्तर प्रदेश शुगर मिलर्स एसोसिएशन (यूपीएसएमए) के पदाधिकारियों के साथ पहली मुलाकात में यह वादा किया। उन्होंने गन्ना मूल्य निर्धारण की वर्तमान व्यवस्था में परिवर्तन का निर्देश देते हुए कहा कि महाराष्ट्र एवं कर्नाटक की गन्ना मूल्य निर्धारण नीति का अध्ययन करते हुए उनके अच्छे एवं लाभकारी फैसलों को उत्तर प्रदेश में भी लागू किया जाए, जिससे किसानों को लाभ हो।
 
योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राज्य सरकार चीनी उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए हरसंभव मदद उपलब्ध कराएगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार चीनी उद्योग के साथ-साथ किसान हित को प्राथमिकता देगी, जिससे गन्ना किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार के साथ-साथ चीनी उद्योग भी विकसित हों ताकि स्थानीय स्तर पर रोजगार के नये साधन उपलब्ध हो सकें।  
उन्होंने कहा कि इस वर्ष प्रदेश में चीनी का उत्पादन महाराष्ट्र की तुलना में काफी अधिक हुआ है। इसके साथ ही, बीते  तीन पेराई सत्र से लंबित गन्ना किसानों के भुगतानों को प्राथमिकता पर कराने का काम किया गया है, जिसके चलते करीब 95 फीसदी से अधिक गन्ना मूल्य का भुगतान किया जा चुका है। 
 
उन्होंने मिल मालिकों से अपेक्षा की कि जिन सदस्यों ने अभी तक अपनी मिल से संबंधित गन्ना किसानों का भुगतान नहीं किया है, वे तत्काल भुगतान करना सुनिश्चि करें।  मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों को उनके गन्ने के मूल्य का भुगतान प्रत्येक दशा में 14 दिनों के अंदर किया जाए। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार नई चीनी मिलें स्थापित करने के लिए सभी जरूरी सुविधाएं कम से कम समय में उपलब्ध कराएगी। उन्होंने रसड़ा, सांझापुर, पीलीभीत, पिपराइच तथा मुंडेरवा में नई चीनी मिलों की स्थापना का कार्य तेज करने का निर्देश दिया। साथ ही, वर्तमान में संचालित निजी एवं अन्य चीनी मिलों की क्षमता में विस्तार करने को कहा। वर्ष 2011 में बिक्री की गई चीनी मिलों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इन चीनी मिलों के अभी तक संचालित न होने से स्थानीय किसानों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इस पर राज्य सरकार कार्यवाही करेगी। 
 
चीनी भंडार सीमा छह महीने के लिए बढ़ी
 
सरकार ने खुले बाजार में चीनी की उपलब्धता बढ़ाने तथा कीमत वृद्धि पर अंकुश लगाने के मकसद से इसकी भंडार सीमा छह महीने यानी अक्टूबर तक के लिए बढ़ा दी। फिलहाल चीनी देश के खुदरा बाजारों में 42-44 रुपये किलोग्राम बिक रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय का फैसला किया गया। एक आधिकारिक बयान के अनुसार, 'केंद्रीय मंत्रिमंडल ने चीनी के संदर्भ में मौजूदा केंद्रीय आदेश की वैधता छह महीने के लिए 29 अप्रैल से 28 अक्तूबर 2017 तक बढ़ाने को मंजूरी दे दी है।'  इसमें कहा गया है कि इस कदम से राज्य सरकार जरूरत पडऩे पर चीनी के मामले में लाइसेंस आवश्यकता और भंडार सीमा लगा सकती है। सरकार का मानना है कि पिछले साल के मुकाबले उत्पादन में कमी के कारण चालू मौसम में खपत के लिए पर्याप्त भंडार के बावजूद जमाखोरी और उससे मुनाफाखोरी की आशंका है।  सरकार के अनुसार ऐसा जान पड़ता है कि कीमत वृद्धि वास्तविक कमी के मुकाबले धारणा पर निर्भर करती है। ऐसे में चीनी की आपूर्ति को नियंत्रित करने तथा सट्टेबाजी कीमतों के समाधान के लिए जरूरत आधारित भंडार सीमा का निर्धारण जरूरी है।
 
  

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