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Date: 28 Nov 2011
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News ID: 733
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सरकार पेट्रोल के साथ ब्लेंडिंग के लिए एथेनॉल की कीमतों पर अंतिम निर्णय इसी महीने लेगी। यह शुगर सेक्टर के लिए अच्छी खबर है। इसके अलावा सरकार ने साल 2011-12 के लिए 10 लाख टन चीनी के निर्यात को मंजूरी दी है। इस खबर से शुगर कंपनियों के शेयरों में तेजी देखी गई और चालू सीजन में शुगर कंपनियों के शेयरों का आउटलुक अच्छा है।

लाइटिंग कंपनियां जैसे फिलिप्स, हैवेल्स और बजाज इलेक्ट्रिकल्स ने सीएफएल बल्बों की कीमतों में 15% तक का इजाफा किया है क्योंकि रेयर अर्थ मैटेरियल की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। कंपोनेंट की आयात कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से ऑटो कंपनियों ने भी कीमतों में बढ़ोतरी की योजना बनाई है।

नवंबर फ्यूचर्स एंड ऑप्शन की एक्सपायरी के दौरान निफ्टी रॉलओवर में लगभग 60 प्रतिशत की कमी देखी गई जो अक्टूबर सीरीज में 76 प्रतिशत थी। कम रॉलओवर और उच्च अस्थिरता के कारण शेयर और निफ्टी दोनों ही अनिश्चित बाजार परिस्थिति की तरफ संकेत कर रहे हैं। निफ्टी स्पॉट को नजदीकी समर्थन 4634 और 4600 के स्तर पर है।

इन दो स्तरों के नीचे अगर निफ्टी जाता है तो निफ्टी में और अधिक अस्थिरता देखी जा सकती है। निफ्टी में 4850 और 4900 के स्तर पर प्रतिरोध होगा। दिसंबर निफ्टी में कॉल ऑप्शन के साथ बियर स्प्रेड लेना ठीक रहेगा। इस नीति के लिए 4600 निफ्टी कॉल ऑप्शन बेच कर उसी एक्सपायरी का आउट ऑफ मनी कॉल ऑप्शन खरीदना ठीक रहेगा। आउट ऑफ मनी कॉल ऑप्शन (4900 या 5000) बढ़ोतरी के जोखिम से सुरक्षा करेगा।

यूरो जोन ओर अमेरिकी अर्थव्यवस्था के कमजोर मैक्रो-इकोनॉमिक फंडामेंटल के कारण निवेश अभी बाजार में बढ़-चढ़ कर हिस्सा नहीं ले रहे हैं। किसी भी बढ़ोतरी के दौरान निवेशक इक्विटी में अपना निवेश घटा रहे हैं। घरेलू बाजार में विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) शुद्ध बिकवाल बने हुए हैं और घरेलू संस्थागत निवेशक (डीआईआई) या तो दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं या उच्च स्तरों पर शॉर्ट पोजीशन बना रहे हैं जिसे घरेलू बाजार पर दबाव है।

निफ्टी की अस्थिरता में तेजी से बढ़ोतरी हुई है जो निकट भविष्य में अनिश्चित बाजार परिस्थितियों का शुरुआती संकेत है।

घरेलू स्तर पर कई सप्ताह के बाद खाद्य महंगाई में गिरावट आई और अब यह इकाई अंकों में हैं जो कुछ राहत की बात है। हाल के हफ्तों में खाद्य महंगाई 12 प्रतिशत से ऊपर चली गई थी और 12 नवंबर को समाप्त हुए सप्ताह में यह 9.01 प्रतिशत रही।

अंतत: मल्टी ब्रांड रिटेल में एफडीआई की निवेश को आखिर संसद की मंजूरी मिल ही गई। निर्णय के मुताबिक मल्टी ब्रांड रिटेल में अधिकतम 51 प्रतिशत एफडीआई और सिंग ब्रांड रिटेल में 100 प्रतिशत एफडीआई की मंजूरी दी गई है। सिंग ब्रांड में 100 प्रतिशत एफडीआई से आईकेईए, गैप और एच एंड एम को भारत में अपनी दुकान खोलने में मदद मिलेगी।

पिछले हफ्ते रिन्युएबल एनर्जी मंत्री ने कहा था कि सरकार पेट्रोल के साथ ब्लेंडिंग के लिए एथेनॉल की कीमतों पर अंतिम निर्णय इसी महीने लेगी। यह शुगर सेक्टर के लिए अच्छी खबर है। इसके अलावा सरकार ने साल 2011-12 के लिए 10 लाख टन चीनी के निर्यात को मंजूरी दी है। साथ ही शुगर के स्टॉक लिमिट को और बढ़ाने का निर्णय नहीं लिया है। इस खबर से शुगर कंपनियों के शेयरों में तेजी देखी गई और चालू सीजन में शुगर कंपनियों के शेयरों का आउटलुक अच्छा है।

पिछले हफ्ते रुपया ऐतिहासिक रूप से नीचे चला गया और इसने 52.7250 के स्तर को छुआ। बढ़ता तेल आयात बिल, पूंजी बाजार में एफआईआई द्वारा लगातार बिकवाली आदि रुपये में कमजोरी के प्रमुख कारक हैं। रुपये में आ रही कमजोरी आयातकों को प्रतिकूल रूप से प्रभावित कर रही है क्योंकि उन्हें अब ज्यादा पैसों का भुगतान करना पड़ रहा है।

लाइटिंग कंपनियां जैसे फिलिप्स, हैवेल्स और बजाज इलेक्ट्रिकल्स ने सीएफएल बल्बों की कीमतों में 15 प्रतिशत तक का इजाफा किया है क्योंकि रेयर अर्थ मैटेरियल की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है और रुपये में भारी गिरावट आई है। कंपोनेंट की आयात कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से ऑटो कंपनियों ने भी कीमतों में बढ़ोतरी की योजना बनाई है।

पिछले एक साल के दौरान रुपये में लगभग 14 प्रतिशत की गिरावट आई है और यह एशिया का सबसे खराब प्रदर्शन वाली मुद्रा रहा है। रुपये को 52.75 पर समर्थन है अगर इसका कारोबार इस स्तर से नीचे किया जाता है तो फिर यह 53.50 के स्तर को आजमा सकता है। प्रतिरोध 52.10 और 51.68 के स्तर पर होगा।

1716 डॉलर के नीचे सोना कमजोर है और इसे 1663 डॉलर के स्तर पर थोड़ा समर्थन है। अगर सोने की कीमतों में और गिरावट आती है तो यह 1643 डॉलर और 1600 डॉलर के स्तर को आजमा सकता है। सोने के लिए 1700 डॉलर और 1716 डॉलर पर प्रतिरोध है। रुपये में कमजोरी की वजह से सोने की घरेलू मांग प्रभावित हो रही है। पिछले हफ्ते एक दूसरा महत्वपूर्ण निर्णय भी लिया गया। 55 साल पुराने कंपनी अधिनियम को संशोधित कर कैबिनेट ने कंपनी बिल 2011 को मंजूरी दी।
 
  

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