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Date:
21 Nov 2011
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News ID:
701
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काशीपुर। राज्य की सभी चीनी मिलें पेराई आरंभ करने वाली हैं, लेकिन केंद्र सरकार की लेटलतीफी के चलते उत्तराखंड ओर उत्तर प्रदेश के बीच गन्ना क्षेत्र का निर्धारण नहीं हो सका है। इसका खामियाजा उत्तराखंड की उन चीनी मिलों को भुगतना होगा, जिनमें यूपी क्षेत्र से गन्ना आता है।
उत्तराखंड राज्य गठन पर राज्य का अधिकांश गन्ना उत्पादक क्षेत्र यूपी में रह गया, जबकि राज्य की सभी दस चीनी मिलें यूपी की सीमा पर स्थित हैं। राज्य बनने के बाद दोनों राज्यों के गन्ना अधिकारियों में समझौता होता था लेकिन यूपी सरकार ने कभी भी ईमानदारी से समझौते का पालन नहीं किया। इस कारण उत्तराखंड की चीनी मिलों के सामने गन्ने का संकट उत्पन्न हो जाता है। यूपी ने राज्य की सीमा पर नई चीनी मिलें भी स्थापित कर दीं। इकबालपुर का गन्ना क्षेत्र यूपी तक फैला था। यूपी द्वारा एमओयू होने के बाद भी गन्ना नहीं देने के विरोध में इकबालपुर चीनी मिल ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट ने कहा प्रदेशों के सचिवों को दूसरे राज्य को गन्ना देने का अधिकार नहीं है। इस पर चीनी मिल सुप्रीम कोर्ट गई। सुप्रीम कोर्ट ने पांच अप्रैल 2011 को मामले को खाद्य मंत्रालय को सौंप दिया लेकिन अभी तक केंद्र सरकार ने इस मामले में कोई कदम नहीं उठाया है। उत्तराखंड की सीमा पर स्थित बाजपुर, नादेही, इकबालपुर, लक्सर और सितारगंज को यूपी का गन्ना आता है।
केंद्र की लेटलतीफी के चलते गन्ना मिलों के सामने संकट उत्तराखंड का गन्ना नहीं जाएगा यूपी
काशीपुर। गन्ना आयुक्त डॉ. विक्रमाजीत तिवारी ने कहा कि वर्ष 2004 में यूपी और यूके सरकार के मध्य समझौते के अनुसार सीमा पर जिस भी राज्य की चीनी मिल है, उसको दोनों राज्यों का गन्ना मिलेगा। इसके बावजूद यूपी ने 2005 के बाद इस समझौता का पालन नहीं किया और उत्तराखंड की चीनी मिलों को गन्ना नहीं दिया। अब सुप्रीम कोर्ट ने मामला केंद्र सरकार को सौंप दिया परंतु केंद्र का फैसला नहीं आया है।
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