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Date:
18 Nov 2011
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698
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नई दिल्ली (ब्यूरो)। सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को उत्तर प्रदेश के किसानों को बड़ी राहत दी है। अदालत ने सहकारी और सरकारी चीनी मिलों को 2007-08 से किसानों के बकाया 161.59 करोड़ रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया है। यह बकाया तीन साल पहले 42 चीनी मिलों को किसानों की ओर से बेचे गए गन्ने का है। इसके भुगतान को निजी चीनी मिलों की ओर से अदालत में दाखिल मामले की आड़ में टाला गया। लेकिन किसानों की ओर से स्पष्ट दलील पेश किए जाने पर शीर्षस्थ अदालत ने इन चीनी मिलों को कड़ी फटकार लगाते हुए चार हफ्ते में इस राशि का भुगतान करने का आदेश दिया।
जस्टिस दलवीर भंडारी की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि आपके निगमों की 17 चीनी मिलों पर 48 करोड़ रुपये से ज्यादा का बकाया है। आपने चीनी बनाकर बेच दी, लेकिन किसानों को पैसा नहीं दिया। यह टिप्पणी पीठ ने किसानों की ओर से पेश याचिकाकर्ता वीएम सिंह की उस दलील पर दी जिसमें कहा गया कि निजी चीनी मिलों ने राज्य सरकार की ओर से गन्ने का मूल्य तय किए जाने के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया।
मगर राज्य सरकार के 17 निगम और 25 सहायता प्राप्त सहकारी चीनी मिलों की ओर से भुगतान न किया जाना अपने ही तय किए गए मूल्य पर अमल न करना है। निजी मिलें इसलिए भुगतान नहीं कर रही कि राज्य सरकार की ओर से गन्ने का मूल्य तय किया जाना ठीक नहीं। मगर सरकारी और सहकारी चीनी मिले क्यों भुगतान नहीं कर रहीं, क्या उन्हें भी राज्य की ओर से तय मूल्य पर आपत्ति हैं। पीठ ने सिंह की दलील से सहमति जताते हुए सहकारी और सरकारी चीनी मिलों को गन्ने के निर्धारित मूल्य 125-130 रुपये प्रति क्विंटल के आधार पर चार हफ्तों के भीतर किसानों को 161.59 करोड़ रुपये बकाए का भुगतान करने का आदेश दिया। राज्य की चीनी मिलों (निगम) को 48 करोड़ रुपये से अधिक और राज्य सहायता प्राप्त सहकारी मिलों को 113 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान एक माह में करना है। याद रहे कि शीर्षस्थ अदालत ने यह आदेश पश्चिमी उत्तर प्रदेश चीनी मिल संघ की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान किसानों के आवेदन पर जारी किया है। पश्चिमी संघ ने राज्य सरकार की ओर से गन्ने का मूल्य तय किए जाने के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया है। गौरतलब है कि संघ ने याचिका में कहा है कि राज्य सरकार गन्ने का मूल्य तय करने में मनमानी करती है। जबकि ऐसा करने का उसे अधिकार नहीं है, क्योंकि मूल्य केंद्र सरकार की ओर से तय किए जाने चाहिए।
•सर्वोच्च अदालत ने उत्तर प्रदेश के किसानों को दी बड़ी राहत
•42 चीनी मिलों को एक माह में करना होगा बकाए का भुगतान
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