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Date:
17 Nov 2011
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News ID:
697
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नई दिल्ली। ऊंचे गन्ना मूल्य को लेकर चीनी मिलों और राज्य सरकारों के बीच चल रहे टकराव का खामियाजा उपभोक्ताओं को चीनी की ऊंची कीमत देकर चुकाना पड़ सकता है। पिछले वर्ष के मुकाबले चालू गन्ने के मूल्यों में औसत 15 से 20 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इसका असर उत्पादन लागत पर पड़ना तय है। हालांकि यूपी सरकार के स्टेट एडवाइज्ड प्राइस (एसएपी) के खिलाफ मिलों ने हाईकोर्ट में अपील की है। इसके बावजूद महाराष्ट्र में गन्ने के दाम 205 रुपये क्विंटल पर सरकार और उद्योग के बीच जो सहमति बनी है, उससे बढ़ी हुई लागत के आधार पर चीनी के दाम बढ़ना तय है। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएसन (इसमा) का कहना है कि बाजार में चीनी की कीमतें न बढ़े, इसके लिए केंद्र सरकार लगातार मासिक कोटा खपत से ज्यादा जारी कर रही है। ऐसे में राज्य सरकारों ने गन्ने के खरीद मूल्य बढ़ाकर मिल मालिकों की मुसीबतें और बढ़ा दी हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने सर्वाधिक 40 रुपये क्विंटल की बढ़ोतरी की है। इससे यूपी में चीनी की लागत 3,400 से 3,450 रुपये क्विंटल तक बढ़ जाएगी। फिलहाल मिल गेट पर दाम 2,750 रुपये क्विंटल है।
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