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Date:
16 Nov 2011
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687
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नई दिल्ली (ब्यूरो)। उत्तर प्रदेश में चालू पेराई सीजन के लिए घोषित राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) चीनी मिलों के गले की फांस बन गए हैं। किसानों के हितों की दुहाई देते हुए फसल लागत में बढ़ोतरी के आधार पर जहां राज्य सरकार का चीनी मिलों पर एसएपी की दर पर गन्ना खरीदने का दबाव है। वहीं उपभोक्ता हित में चीनी के दाम स्थिर रखने के लिए केंद्र सरकार मिलों पर हावी है। केंद्र और राज्य सरकार के दबाव के बीच मंगलवार को चीनी मिलों ने एसएपी पर गन्ना खरीदने से साफ इंकार करते हुए लखनऊ उच्च न्यायालय में न्याय की गुहार लगायी है। उत्तर प्रदेश चीनी मिल्स एसोसिएशन के सचिव श्याम लाल गुप्ता ने बताया कि बाजार में चीनी के दाम स्थिर होने से मिले पहले से ही नुकसान उठा रही हैं। ऐसे में चालू पेराई सीजन में 240 से 250 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर गन्ना खरीदने पर मिलों की माली हालत और बिगड़ सकती है। कई मिलें बंद भी हो सकती हैं। मौजूदा एसएपी पर गन्ना खरीदने के बाद यदि चीनी के दामों में कम से कम 5 से 6 रुपये किलो की बढ़ोतरी नहीं हुई तो सिर्फ यूपी की चीनी मिलों को ही 3000 करोड़ का घाटा उठाना पड़ सकता है।
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