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Date: 13 Nov 2011
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News ID: 678
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नई दिल्ली। इसे उत्तर प्रदेश सरकार का डर कहें या फिर पेराई सीजन में हो रही देरी को देखते हुए चीनी उत्पादन जल्द शुरू करने की रणनीति कि करीब आधा दर्जन मिलों ने अपने संगठन को दरकिनार करते हुए राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) को स्वीकार कर लिया है। वहीं, चीनी मिलों के संगठन का आरोप है कि प्रदेश सरकार मिलों को डरा-धमका कर हस्ताक्षर करा रही है, जबकि प्रदेश की कोई भी मिल एसएपी पर गन्ना खरीदने को तैयार नहीं है और इसके खिलाफ मिलें अगले सप्ताह न्यायालय में अपील की तैयारी कर रही हैं।

इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इसमा) के प्रदेश सचिव एसएन शुक्ला ने बताया कि 250 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर गन्ना खरीदने पर चीनी की लागत 3700 से 3800 रुपये क्विंटल पड़ेगी। इससे खुदरा में चीनी के दाम 45 रुपये किलो के पार जा सकते हैं। सरकार यदि चाहती है कि किसानों को गन्ना की कीमत एसएपी की दर पर मिले तो उसे चीनी के दाम बढ़ने की चिंता छोड़ देनी चाहिए। वहीं, गन्ना किसानों के नेता सुधीर पवार का कहना है कि एसएपी निर्धारित करना प्रदेश सरकार का अधिकार है और यह बात उच्चतम न्यायालय भी कह चुका है। यदि मिलें एसएपी के खिलाफ न्यायालय जाती हैं तो किसान भी अपने हक के लिए न्यायालय का रास्ता चुन सकते हैं। उधर, इसमा के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्याम लाल गुप्ता का कहना है कि एसएपी मुद्दे पर यूपी की मिलों में किसी तरह की दरार नहीं है।

आधा दर्जन मिलों ने एसएपी पर खरीद की लिखित सहमति दी
 
  

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