लखनऊ। प्रदेश की 21 चीनी मिलों की बिक्री के घोटाले की जांच का आदेश तत्कालीन नेताओं, अधिकारियों और एक व्यवसायी के गठजोड़ को बेनकाब करेगा। भारत के प्रधान महालेखाकार नियंत्रक (सीएजी) की रिपोर्ट में इस घोटाले का बिंदुवार विवरण दिया गया था।
यह रिपोर्ट विधानसभा में रखी गई थी जिस पर जमकर हंगामा हुआ था। रिपोर्ट में यह ब्योरा भी था कि एक व्यवसायी को लाभ पहुंचाने के लिए मायावती के शासन में किस तरह साजिशों का चक्रव्यूह रचा गया। शुक्रवार रात मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस पूरे घोटाले की जांच के आदेश दिए हैं।
मायावती शासन के दौरान 2010 में जुलाई-अक्टूबर और इसके बाद 2011 में जनवरी-मार्च तक क्रमशः 10 और 11 चीनी मिलों को बेचा गया। पहले दौर में चीनी मिलों की बिडिंग करने वाली दोनों कंपनियां शराब व्यवसायी पोंटी चड्ढा की थीं।
दूसरे दौर में बिडिंग करने वाली कंपनियां अलग-अलग तो थीं, लेकिन उनके सभी निदेशक एक-दूसरे से जुड़े हुए पाए गए। कई निदेशक तो ऐसे थे जो दूसरी कंपनियों में अंशधारक भी रहे। सीएजी ने माना कि यह सभी कंपनियां पोंटी की ही मिल्कियत रहीं।
पोंटी चड्ढा (अब स्वर्गीय) को लाभ पहुंचाने के लिए इन मिलों को नमक के भाव बेचा गया। यही नहीं यह भी आरोप लगे कि चड्ढा की कंपनियों को वित्तीय बिड पहले ही बता दी गई। इस पर भी काम नहीं बना तब बिडिंग के मध्य में फेरबदल कर दिया गया। उस समय आबकारी मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी थे।