सरकार ने चीनी की कीमतों को काबू में रखने के लिए 12 जून तक 5 लाख टन कच्ची चीनी के आयात की आज अनुमति दे दी जिस पर कोई आयात शुल्क नहीं लगेगा। भारत में चीनी के आयात पर 40 फीसदी शुल्क लगता है। सरकार ने एक बयान में कहा कि कच्ची चीनी के आयात की अनुमति शुल्क कोटे के तहत दी जाएगी जिसकी शर्तें विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) तय करेगा। डीजीएफटी एक सार्वजनिक नोटिस के जरिए हर आयातक का कोटा घोषित करेगा।
बयान में कहा गया है कि क्षेत्रीय मात्रात्मक पाबंदियों के साथ आयात किया जाएगा और केवल उन्हीं मिलों तथा रिफाइनरों को इसकी अनुमति दी जाएगी जिनके पास अपनी रिफाइनिंग क्षमता है। इसके लिए 13 से 24 अप्रैल तक डीजीएफटी के पास ऑनलाइन आवेदन किया जा सकता है। खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने कहा, 'खुले बाजार में चीनी की मात्रा की उपलब्धता और मौजूदा चीनी सत्र में उत्पादन को देखते हुए ऐसा अनुमान है कि देश में घरेलू खपत के लिए पर्याप्त चीनी उपलब्ध है।' अलबत्ता सरकार के इस फैसले पर चीनी उद्योग बंटा हुआ है। कुछ कंपनियों ने इसका स्वागत करते हुए कहा है कि इससे बढ़ती कीमतें रोकने में मदद मिलेगी। दूसरी तरफ कुछ का मानना है कि आयात की कोई जरूरत नहीं थी क्योंकि घरेलू स्तर पर आपूर्ति पर्याप्त है।
ऑल इंडिया शुगर ट्रेड एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रफुल्ल विठलानी ने कहा कि कच्ची चीनी का आयात अच्छा फैसला है और इसे मिलों को अपनी लागत से थोड़ी बेहतर कीमत में मदद मिलेगी। अगर आज कच्ची चीनी आयात की जाए तो शोधन पर खर्चे के बाद उसकी लागत प्रति टन 31,800 रुपये आएगी। इस खर्च में आयात लागत, बंदरगाह से रिफाइनरी तक का सभी तरह का भाड़ा, शोधन लागत और तीन महीने की पूंजी पर ब्याज भी शामिल है। यह मौजूदा लागत से करीब 4,000 रुपये प्रति टन कम है। इसका कारण यह है कि वैश्विक स्तर पर पिछले कुछ सप्ताह में कच्ची चीनी की कीमतों में तेज गिरावट आई है।