इस साल उत्पादन कम होने की आशंका और सरकार व चीनी संस्थाओं के उत्पादन के आंकड़ों में भारी अंतर के कारण कमोडिटी बाजार में चीनी सबसे चर्चित जिंसों में शुमार है। बाजार में अचानक कीमतें बढऩे और सरकारी सख्ती को देखते हुए कमोडिटी एक्सचेंज ने चीनी पर मार्जिन का पहरा कड़ा किया है। इसके तहत पिछले सप्ताह चीनी की कीमतों में गिरावट के बाद एक्सचेंज ने विशेष नकद मार्जिन में 10 फीसदी कटौती का ऐलान किया है जिससे वायदा कारोबार में चीनी कारोबार सस्ता होगा। कमोडिटी एक्सचेंज एनसीडीईएक्स ने चीनी वायदा सौदों में खरीदारी पर मार्जिन कम करने का ऐलान किया है। एक्सचेंज की तरफ से जारी परिपत्र केे मुताबिक चीनी के सभी वायदा सौदों और आगे शुरु होने वाले चीनी के वायदा अनुंबधों पर 3 अप्रैल यानी सोमवार से खरीदारी पर विशेष नकद मार्जिन में 10 फीसदी की कटौती करने का ऐलान किया है। हालांकि इस कटौती के बाद भी चीनी में खरीदारी पर 35 फीसदी विशेष नकद मार्जिन और पांच फीसदी अतिरिक्त मार्जिन लागू रहेगा। इस तरह चीनी वायदा में कुल मिलाकर 40 फीसदी मार्जिन अभी भी चुकाना पड़ेगा। एक्सचेंज ने बिकवाली पर किसी तरह का बदलाव नहीं किया है और पांच फीसदी का अतिरिक्त मार्जिन लागू रहेगा। इस साल चीनी उत्पादन में गिरावट आने की आशंका है। चीनी मिलों के संगठन इस्मा के ताजा अनुमान में चीनी उत्पादन घटाकर 203 लाख टन बताया गया है जबकि पिछले साल देश में 251 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। इस्मा का हालिया अनुमान पिछले सात साल का न्यूनतम है। उत्पादन कम होने की आ रही खबरों के बीच चीनी की कीमतों में तेज बढ़ोत्तरी शुरू हुई और वायदा बाजार में चीनी की कीमत चार हजार रुपये प्रति क्ंिवटल को पार कर गईं। कीमतें बढऩे के साथ बाजार में सट्टेबाजी की आशंका भी बढऩे लगी जिसको देखते हुए एक्सचेंज ने विशेष नकद मार्जिन और अतिरिक्त मार्जिन लगाने का फैसला किया था। लेकिन हाल के दिनों में चीनी कीमतों में कुछ कमी आई है। वायदा बाजार में 27 मार्च को चीनी की कीमत गिरकर 3,695 रुपये प्रति क्ंिवटल पहुंच गई। ऐसे में एक्सचेंज ने स्पेशल कैश मार्जिन में 10 फीसदी की कटौती करने का फैसला लिया है। हालांकि 27 मार्च के बाद कीमतें दोबारा बढऩा शुरु हो गई और पिछले तीन दिनों में चीनी के दाम करीब 100 रुपये प्रति क्ंिवटल बढ़ गए। शुक्रवार को एनसीडीईएक्स पर चीनी के दाम बढ़कर 3,804 रुपये प्रति क्ंिवटल हो गए। हाजिर बाजार में चीनी के दाम अभी भी 4,000 रुपये प्रति क्ंिवटल के पार बने हुए हैं। एक्सचेंज अधिकारियों का कहना है कि चीनी वायदा सहित दूसरे वायदा अनुबंधों पर हमारी नजर है। किसी भी जिंस में आकस्मिक कीमतों में तेज घट-बढ़ होती है तो उसको रोकना एक्सचेंज का दायित्व बनता है इसीलिए चीनी कारोबार पर मार्जिन की दर बढ़ाई गई थी लेकिन सुधार होने पर 10 फीसदी की कमी की गई है। चीनी के दाम बढऩे की प्रमुख वजह चीनी मिलों के संगठन इस्मा द्वारा लगातार चीनी उत्पादन अनुमान में कमी किया जाना माना जा रहा है। पिछले 6 महीनों में इस्मा ने तीन बार चीनी उत्पादन का अनुमान बदला है। हर बार उत्पादन अनुमान कम किया गया है। ताजा अनुमान में इस्मा ने चीनी उत्पादन घटाकर 203 लाख टन कर दिया है। इससे पहले 25 जनवरी को जारी रिपोर्ट में इस्मा ने चालू सत्र में चीनी उत्पादन 213 लाख टन रहने का अनुमान व्यक्त किया था। जबकि सितंबर 2016 में चीनी उत्पादन का अनुमान 234 लाख टन होने का अनुमान जताया गया था। इस्मा के साथ अब इक्रा सहित दूसरी एंजेसिया भी उत्पादन कम होने की बाद करने लगी हैं। हालांकि सरकार का मानना है कि देश में इस बार 225 लाख टन चीनी उत्पादन का अनुमान है। चीनी कारोबारियों की मानें तो इस समय लोगों की नजरें वायदा बाजार की अपेक्षा हाजिर बाजार में ज्यादा लगी हुई हैं। वायदा बाजार में सौदें कम होने या फिर कीमतों में गिरावट सरकार के कड़े तेवरों से ब्रोकिंग फर्मों की तरफ से बरती जा रही सतर्कता है।