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Date:
06 Nov 2011
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News ID:
655
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नई दिल्ली (ब्यूरो)। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की चीनी मिल संघ ने सुप्रीम कोर्ट में गन्ने का मूल्य राज्य सरकार की ओर से तय किए जाने के मामले मे दायर की गई याचिका को संविधान पीठ के समक्ष सुने जाने की मांग की है। चीनी मिल संघ का कहना है कि गन्ने के मूल्य से संबंधित एक मामले पर पहले शीर्ष अदालत की संविधान बेंच ने फैसला दिया था। इसलिए इस मुद्दे की सुनवाई भी संविधान बेंच को करनी चाहिए।
जस्टिस दलवीर भंडारी, जस्टिस टीएस ठाकुर व जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच के समक्ष चीनी मिल संघ की ओर से पेश हुए अधिवक्ता ने दलील दी कि राज्य सरकार गन्ने का मूल्य तय करने में मनमानी करती है। जबकि ऐसा करने का उसे अधिकार नहीं है, क्योंकि मूल्य केंद्र सरकार की ओर से तय किए जाने चाहिए। अधिवक्ता ने कहा कि सन् 2005 में गन्ने के मूल्य से संबंधित एक मामले पर संविधान पीठ ने फैसला दिया था। इसलिए इस मुद्दे पर संविधान बेंच को सुनवाई करनी चाहिए।
वहीं राज्य सरकार की ओर से पेश हुए अधिवक्ता विष्णु शर्मा ने कहा कि साल 2005 में संविधान पीठ मूल्य तय करने की वैधता पर फैसला दे चुकी है। अब दोबारा से इस मामले को दूसरी तरह से पेश किया जा रहा है जिसे उचित नहीं माना जा सकता। राज्य सरकार किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए गन्ने के मूल्य को तय करती है। चीनी मिले किसानों से सीधे तौर पर गन्ने का मूल्य तय करने में बड़ा मुनाफा हासिल करने की कोशिश में रहती हैं। यही वजह है कि वह चाहती हैं कि राज्य सरकार का हस्तक्षेप गन्ने के मूल्य के मुद्दे से हट जाए। प्रदेश सरकार की ओर से जो मूल्य तय किया जाता है, वह किसानों और मिलों दोनों को समान रखते हुए लिया जाता है।
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