लगातार तीन साल सूखे के कारण गन्ने की उत्पादकता में भारी कमी आई है, जिससे देश के दक्षिणी हिस्से की चीनी मिलों को इस साल क्षेत्र में कम गन्ना उत्पादित होने के कारण चालू पेराई सीजन के आखिर यानी सितंबर में गन्ने की किल्लत का सामना करना पड़ सकता है। इस उद्योग की संस्था भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) ने इस महीने की शुरुआत में चीनी उत्पादन के संशोधित आंकड़े जारी किए हैं। इस्मा ने अनुमान जताया है कि कम रकबे और प्रतिकूल मौसम के कारण इस साल गन्ने में चीनी की मात्रा 40 से 50 फीसदी घटेगी। देश में दूसरे सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य महाराष्ट्र को भी लगातार तीसरे साल सूखे का सामना करना पड़ा, जिससे वहां भी गन्ने में चीनी की मात्रा कम हुई है। इस्मा ने अपने हालिया अनुमान में कहा है कि इस सीजन में महाराष्ट्र में चीनी का उत्पादन 50 फीसदी घटकर 42 लाख टन रहेगा, जो पिछले साल 84.2 लाख टन रहा था। पिछले साल देश में चीनी का उत्पादन 251 लाख टन रहा, जिसमें महाराष्ट्र और तीन अन्य प्रमुख उत्पादक राज्यों का योगदान 60 फीसदी रहा। इसके चलते चीनी सीजन 2016-17 में बचा हुआ स्टॉक मुख्य रूप से महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु की मिलों के पास था। हालांकि इसके विपरीत सीजन 2017-18 में महाराष्ट्र और दक्षिण भारतीय राज्यों की चीनी मिलों के पास मामूली स्टॉक बचने का अनुमान है। इसकी वजह यह है कि वहां चीनी का उत्पादन हुआ है। इस साल चीनी का ज्यादातर बचा हुआ स्टॉक उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों के पास रहने के आसार हैं। उद्योग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'देश के उत्तरी हिस्से में चीनी की उपलब्धता भरपूर रहेगी। हालांकि तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना जैसे दक्षिणी राज्यों में चीनी के कम उत्पादन के कारण वहां चीनी की उपलब्धता कम रहने के आसार हैं।' तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश सहित सभी दक्षिणी भारतीय राज्यों में चालू पेराई सीजन में चीनी का उत्पादन करीब 50 फीसदी घटने के आसार हैं। इस्मा के मुताबिक पेराई सीजन 2015-16 में इन तीनों राज्यों में चीनी का कुल उत्पादन 62.5 लाख टन रहा था। पेराई सीजन 2015-16 में कर्नाटक में चीनी का उत्पादन 40.5 लाख टन रहा था, जबकि इस साल राज्य में चीनी का उत्पादन महज 21 लाख टन रहने का अनुमान है। इस्मा के आंकड़ों से पता चलता है कि इस साल भारत का चीनी उत्पादन 203 लाख टन रहेगा। कुछ कारोबारी और मिलें इस साल देश में चीनी का उत्पादन घटकर 195 लाख टन ही रहने का अनुमान जता रहे हैं। कारोबारियों और कुछ मिलों का अनुमान है कि इस साल चीनी की खपत 245 लाख टन रहेगी। साउथ इंडिया शुगर मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन (सिस्मा) के अध्यक्ष पारिया सामी ने कहा, 'इस सीजन में तमिलनाडु में चीनी की कोई किल्लत पैदा नहीं होगी क्योंकि पश्चिम बंगाल, बिहार और अन्य उत्तरी राज्यों में आमतौर पर उपभोक्ताओं को कीमत में जो लाभ मिलता है, वह अब नहीं है। अब उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों ने पूर्वोत्तर इलाकों के उपभोक्ताओं को आपूर्ति शुरू कर दी है। अगर तमिलनाडु और अन्य दक्षिणी राज्यों में चीनी की कोई कमी हुई तो हम उत्तर प्रदेश से इसे मंगाने को तरजीह देंगे, जहां चीनी की आपूर्ति अतिरिक्त है। हम सरकार से आाग्रह करेंगे कि स्थानीय उपभोक्ताओं के लाभ और उत्तर प्रदेश के किसानों के कल्याण के लिए परिवहन सब्सिडी मुहैया कराई जाए।' सामी ने कहा कि चीनी की वर्तमान कीमतें उत्पादन लागत से मामूली अधिक हैं, इसलिए इसके दाम 1 से 2 रुपये बढऩे पर सरकार को आतंकित नहीं होना चाहिए।