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आयात से इनकार, चढ़े चीनी शेयर
Date: 18 Mar 2017
Source: बिज़नेस स्टैण्डर्ड
Reporter: सुशील मिश्र
News ID: 6501
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सरकार और उद्योग जगत की तरफ से पेश किए जा रहे चीनी उत्पादन के अनुमानित आंकड़ों में भारी अंतर ने बाजार में बवंडर खड़ा करना शुरू कर दिया है। सरकार चीनी मिलों के संगठन इस्मा के आंकड़ों को भ्रामक बता रही है। वह आयात शुल्क में किसी भी तरह की कटौती और आयात की संभावनाओं को भी स्पष्ट खारिज कर चुकी है। यानी घरेलू चीनी को अब विदेशी चीनी से कोई चुनौती नहीं मिलेगी, जिसका सीधा फायदा चीनी मिलों को होगा। इसका असर शेयर बाजार में भी दिख रहा है। 
 
चीनी आयात और आयात शुल्क में कटौती की संभावनाओं पर विराम लगने से चीनी मिलों के शेयर झूमने लगे हैं। बीएसई में शुगर सूचकांक उछलना शुरू हो गया। सप्ताह के अंतिम कारोबारी दिन शुक्रवार को पैरी शुगर के शेयर 7.98 फीसदी, अवध शुगर मिल्स के शेयर 6.81 फीसदी, अपर गंगा शुगर के शेयर 5.36 फीसदी, केसर इंटरप्राइजेस के शेयर 4.69 फीसदी, द्वारका शुगर के शेयर 4.57 फीसदी, धामपुर शुगर 4.29 फीसदी और सिंभावली शुगर के शेयर 4.02 फीसदी चढ़ गए। शेयर बाजार में डालमिया शुगर , बलरामपुर शुगर, त्रिवेणी शुगर, उत्तम शुगर सहित सभी चीनी कंपनियों के शेयर तेजी के साथ बंद हुए। 
 
इन शेयरों में तेजी की वजह सरकार की तरफ से आयात करने से इनकार करने को माना जा रहा है। ऐंजल ब्रोकिंग के रितेश कुमार साहू का कहना है कि दरअसल चीनी उत्पादन के जो अनुमानित आंकड़े इस्मा और सरकार की तरफ से बताए जा रहे हैं उन पर बाजार को भरोसा नहीं है। लेकिन यह तय लगता है कि इस साल चीनी उत्पादन कम रहेगा। इस समय चीनी मिलों में चीनी 41-42 रुपये किलोग्राम चल रही है जिसमें प्रति किलोग्राम करीब 6-7 रुपये का फायदा हो रहा है। चीनी का आयात नहीं होगा तो चीनी मिलों के ही स्टॉक को बाजार में बेचा जाएगा। इससे एक बात स्पष्ट है कि चीनी के दाम कम नहीं होंगे। जैसे जैसे गरमी बढ़ेगी चीनी की मांग भी बढ़ेगी जिससे कीमतें भी बढ़ेंगी। जिसका सीधा फायदा चीनी मिलों को होगा इसीलिए निवेशक चीनी मिलों के शेयरों की तरफ आकर्षित हो रहे हैं।  
 
इस्मा के ताजा अनुमान में चीनी उत्पादन घटाकर 203 लाख टन कर दिया गया था जो पिछले सात साल का न्यूनतम उत्पादन था। इस्मा की रिपोर्ट पर खाद्य एवं उपभोक्ता मंत्रालय के मंत्री राम विलास पासवान ने कहा कि इस्मा ने मौजूदा चीनी वर्ष के भ्रामक आंकड़े पेश किए हैं। इन आंकड़ों के माध्यम से इस्मा चीनी उद्योग और किसानों को गुमराह कर रही है। देश में चीनी का पर्याप्त स्टॉक है इसलिए देश में इस साल चीनी आयात की जरूरत नहीं है। चीनी आयात पर नीति निर्धारण के लिए लगातार दो साल का उत्पादन देखना होता है। इस साल उत्पादन कम होने के आधार पर आयात नीति नहीं बदली जा सकती। उन्होंने कहा कि देश में चीनी का पर्याप्त स्टॉक है, ऐसे में चीनी के आयात पर लगने वाले शुल्क को फिलहाल घटाने की जरूरत नहीं है। पासवान के मुताबिक सरकार ने इस साल देश में 225 लाख टन चीनी उत्पादन का अनुमान लगाया है और पिछले साल का करीब 77.5 लाख टन चीनी का स्टॉक बचा हुआ है। इस लिहाज से कुल स्टॉक 290-300 लाख टन हो रहा है जबकि देश में सालाना खपत 240-250 लाख टन की है। उन्होने इस्मा द्वारा बार-बार अनुमान घटाए जाने की निंदा भी की। उन्होंने कहा कि चीनी आयात शुल्क में किसी तरह की कटौती भी नहीं की जाएगी। इस समय चीनी आयात पर 40 फीसदी आयात शुल्क है।  
 
पिछले छह महीनों में इस्मा ने तीन बार चीनी उत्पादन अनुमान को कम किया है। ताजा अनुमान में इस्मा ने चीनी उत्पादन घटाकर 203 लाख टन कर दिया है। इससे पहले 25 जनवरी को जारी रिपोर्ट में इस्मा ने चालू सत्र में चीनी उत्पादन 213 लाख टन रहने का अनुमान व्यक्त किया था। जबकि सितंबर 2016 में चीनी उत्पादन अनुमान 234 लाख टन होने का अनुमान जताया गया था। कारोबारियों के अनुसार उत्पादन कम होने की संभावना है।
 
  

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