बिजनौर में बिजनौर का गन्ना दुनिया में शोध का विषय बन गया है। इंटरनेशनल केन रिसर्च सेंटर के वैज्ञानिक जिले के गन्ने पर रिसर्च करने के लिए आने लगे हैं। रिसर्च समिति के सदस्य तथा नार्वे देश के वैज्ञानिक टोरे फोगनर जिले के दो दिवसीय दौरे पर आए हैं। उन्होंने कई गांवों में जाकर गन्ना उत्पादन से जुड़ी जानकारी हासिल की हैं।
डीसीओ ओपी सिंह के अनुसार शासन स्तर से गन्ने की अर्ली वैरायटी की नव शोधित प्रजातियों को बढ़ावा देने के लिए अभियान चलाया गया। किसानों को ट्रैंच विधि से गन्ना बोने के लिए प्रेरित किया गया। इससे गन्ने की लंबाई, मोटाई तथा प्रति बीघा उत्पादन बढ़ा। श्रीलंका आदि देशों की टीम गन्ने का अध्ययन करने बिजनौर आई। इसके बाद इंटरनेशनल जर्नल में बिजनौर के गन्ने ने स्थान बनाया। इंटरनेशनल केन रिसर्च सेंटर का ध्यान जर्नल में प्रकाशित लेखों पर गया। नार्वे देश के शोध वैज्ञानिक टोरे फोगनर गन्ना न्यूट्रेशन विशेषज्ञ हैं। गन्ने में उपयोगी कैल्शियम व जिंक के प्रोडक्ट पर टोरे ने शोध किया हैं। वह गन्ना बाहुल्य देशों ब्राजील, आस्ट्रेलिया, पाकिस्तान, थाईलैंड, समेत भारत में महाराष्ट्र व कर्नाटक में शोध भ्रमण का चुके हैं। बिजनौर की गन्ना रिकवरी इंटरनेशनल लेविल पर चर्चाओं में है।
रिकवरी स्टडी के लिए टोरे फोगनर ने नजीबाबाद, नहटौर, ब्लाक के गांवों में जाकर खेतों में खडे़ गन्ने को देखा है। वह किसानों से गन्ना प्रजाति, बुवाई की तकनीक, प्रयुक्त रसायनों आदि की जानकारी ले रहे हैं।