विवेक सरावगी ने 30 साल के अपने कारोबारी जीवन में कभी बलरामपुर चीनी का इतना शानदार प्रदर्शन नहीं देखा। लेकिन यह साल कारोबार के लिहाज से असाधारण दिख रहा है। कोलकाता मुख्यालय वाली इस कंपनी की 10 चीनी मिल हैं और इसने चालू वित्त वर्ष के शुरुआती 9 महीनों में ही करीब 400 करोड़ रुपये का मुनाफा कमा लिया है, जो वित्त वर्ष 2008-09 में हुए 226 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड सालाना मुनाफे से भी ज्यादा है।
वित्त वर्ष 2016 में बलरामपुर चीनी को 99 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था जबकि वित्त वर्ष 2015 में उसे 58 करोड़ रुपये का घाटा सहना पड़ा। कंपनी के प्रबंध निदेशक सरावगी ने कहा, 'कई साल बाद अब कंपनी अपने कर्ज का भुगतान करने की स्थिति में दिख रही है। देश भर में चीनी का उत्पादन घटा है, लेकिन उत्तर प्रदेश में उत्पादन बढ़ गया है। हमारी कंपनी में भी उत्पादन बढ़ा है।'
साहनी परिवार के नेतृत्व वाली त्रिवेणी इंजीनियरिंग ऐेंड इंडस्ट्रीज की यूपी में 7 चीनी मिलें हैं और कंपनी ने वित्त वर्ष 2009 में 170 करोड़ रुपये मुनाफे के अपने पिछले रिकॉर्ड को पछाड़ते हुए अप्रैल से दिसंबर 2016 के बीच नौ महीनों में ही 193 करोड़ रुपये का मुनाफा कमा लिया। त्रिवेणी इंजीनियरिंग ऐंड इंडस्ट्रीज के वाइस चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक तरुण साहनी ने कहा, 'कम से कम अगले नौ महीनों में चीनी की कीमतें उचित स्तर पर बनी रह सकती हैं। हालांकि दीर्घावधि में हमारे उद्योग का परिदृश्य कैसा होगा कहना कठिन होगा क्योंकि यह कई कारकों- मौसम, बारिश और गन्ने की कीमतें आदि पर निर्भर करता है।'
पिछले चार-पांच वर्षों में चीनी उद्योग को या तो बड़ा नुकसान हुआ या मुनाफा कम रहा, जिससे चीनी कंपनियों के बहीखातों पर असर पड़ा। इसकी वजह से कंपनी किसानों का भुगतान करने और कर्ज चुकाने में कठिनाई महसूस कर रही थीं। वर्ष 2014 में भारतीय स्टेट बैंक की चेयरमैन अरुंधती भट्टाचार्य ने यूपी के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर गन्ने और चीनी की कीमतों में भारी अंतर होने से कर्ज के गैर-निष्पादित आस्तियों में तब्दील होने की चिंता जताई थी।
लेकिन उत्तर प्रदेश की चीनी कंपनियों की स्थिति अब बदलती दिख रही है। अप्रैल-दिसंबर में बलरामपुर चीनी की प्रति किलो औसत प्राप्ति 38 फीसदी बढ़कर 35.57 रुपये रही। इस दौरान कंपनी की कुल आय में चीनी का योगदान 85 फीसदी रहा, जबकि शेष आय बिजली और एथेनॉल से हासिल की गई। साहनी ने कहा, 'बैंक सहज स्थिति में हैं क्योंकि कई चीनी कंपनियां अब अपना कर्ज कम करेंगी। हम अपने 1,000 करोड़ रुपये के कर्ज को कम करने की संभावना तलाश रहे हैं।'
देश के सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में अक्टूबर 2016 - सितंबर 2017 सीजन में चीनी उत्पादन घटकर 40 लाख रहने का अनुमान है, जबकि उत्तर प्रदेश में 80 लाख टन चीनी के उत्पादन का अनुमान है। पिछले सीजन में उत्तर प्रदेश में 68.5 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में चीनी कंपनियों के लिए अच्छी बात यह है कि यहां गन्ने से चीनी की रिकवरी में सुधार हुआ है।
धामपुर शुगर को चालू वित्त वर्ष के शुरुआती 9 महीनों में 130 करोड़ रुपये का मुनाफा है जबकि इससे पहले कंपनी का रिकॉर्ड मुनाफा 56 करोड़ रुपये (वित्त वर्ष 2009 में) था। हालांकि वित्त वर्ष 2006 में करीब को 102 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ था लेकिन इसमें अन्य आय की बड़ी हिस्सेदारी थी। इसके अलावा द्वारिकेश, डीसीएम श्रीराम इंडस्ट्रीज और अवध शुगर को अस साल अच्छा मुनाफा हुआ है।