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News
शीरे और स्पिरिट ने बढ़ाई मिलों की मिठास
Date:
10 Feb 2017
Source:
Business Standard
Reporter:
दिलीप कुमार झा
News ID:
6387
Pdf:
Nlink:
देशभर की चीनी मिलों को गैर-एथेनॉल उपोत्पादों, विशेष रूप से शीरे और रेक्टिफाइड स्पिरिट की पेय एल्कोहल विनिर्माताओं को बिक्री से इसे एथेनॉल बनाकर बेचने के बजाय ज्यादा कीमत मिल रही है। पेय एल्कोहल विनिर्माता मिलों को रेक्टिफाइड स्पिरिट के दाम 46 से 47 रुपये प्रति लीटर देते हैं, जबकि कीमतों में कमी और उत्पाद सब्सिडी वापस लिए जाने के कारण एथेनॉल के दाम 7 से 8 रुपये प्रति लीटर कम मिल रहे हैं। हालांकि जिस तरह तेल विपणन कंपनियां एथेनॉल की कीमतें तय करती हैं, उस तरह पेय एल्कोहल विनिर्माता कोई कीमत तय नहीं करते हैं। इस तरह पेय एल्कोहल विनिर्माता बाजार निर्धारित कीमत पर रेक्टिफाइड स्पिरिट खरीदते हैं।
ऐसी स्थिति में छोटे एवं स्वतंत्र चीनी विनिर्माता ज्यादा दाम हासिल करने के लिए शीरे (रेक्टिफाइड स्पिरिट के लिए कच्चा माल और गन्ने से निकलने वाला उपोत्पाद) की बिक्री के लिए प्रोत्साहित हुए हैं। लेकिन एथेनॉल का उत्पादन करने वाली डिस्टिलरीज के मुनाफे पर लगातार चोट पड़ रही है। इसके चलते इस साल देश में मिलों को चीनी कीमतों में बढ़ोतरी से मिलने वाले फायदे का एक हिस्सा उपोत्पादों से कम आमदनी के कारण हाथ से निकल जाएगा।
भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) के महानिदेशक अविनाश वर्मा ने कहा, 'सरकार ने एथेनॉल की कीमत 2 से 3 रुपये प्रति लीटर घटा दी है और 3 से 4 रुपये प्रति लीटर की उत्पाद सब्सिडी भी वापस ले ली है, जिससे इस साल एथेनॉल की मिलने वाली कीमत पिछले साल की तुलना में 7 से 8 रुपये प्रति लीटर कम हो गई है। इसके साथ ही महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के सूखा प्रभावित इलाकों में गन्ने का उत्पादन कम है, इसलिए इस साल शीरे और खोई का उत्पादन इसी अनुपात में कम रहा है। इसके चलते इस साल उपोत्पादों से आमदनी कम हुई है।'
चालू पेराई सीजन में कम उत्पादन के अनुमानों के कारण चीनी की कीमतें थोक बाजार में पिछले साल के मुकाबले 26 फीसदी बढ़कर 40 से 41 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गई हैं। हालांकि इसी अवधि में राज्य ग्रिडों को बिजली की आपूर्ति से आमदनी 5 रुपये प्रति यूनिट पर अपरिवर्तित रही। इसके विपरीत एथेनॉल से आमदनी करीब 15 फीसदी घटी है। सूखा प्रभावित क्षेत्रों में ज्यादातर डिस्टिलरीज कच्चा माल यानी शीरा खरीदने के लिए एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा करती हैं, जिससे उनकी कच्चे माल की खरीद लागत बढ़ी है। वहीं तेल विपणन कंपनियों को एथेनॉल की बिक्री से होने वाली उनकी आमदनी भी 7 से 8 रुपये घटी है। इसकी वजह यह है कि सरकार ने वास्तविक एथेनॉल खरीद की कीमतें घटाने के साथ ही उत्पादन सब्सिडी भी बंद कर दी है। बजाज हिंदुस्तान और बलरामपुर चीनी जैसी कंपनियों की 10 से 12 फीसदी आमदनी डिस्टिलरी (यानी एथेनॉल के उत्पादन से) और 6 से 10 फीसदी आय बिजली उत्पादन से होती है।
वित्त वर्ष 2015-16 में बजाज हिंदुस्तान की कुल आमदनी 4,735 करोड़ रुपये रही थी, जिसमें कंपनी को 559 रुपये की आय डिस्टिलरी से और 319 करोड़ रुपये की आमदनी बिजली उत्पादन से हुई। आलोच्य वर्ष में बलरामपुर चीनी का सालाना राजस्व 3,093 करोड़ रुपये रहा, जिसमें से 309 करोड़ रुपये की आय डिस्टिलरी से और 281 करोड़ रुपये की आय बिजली उत्पादन से हुई। चीनी उत्पादन से बजाज हिंदुस्तान को 3,842 करोड़ और बलरामपुर चीनी को 2,497 करोड़ रुपये की आमदनी हुई।
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