•  
  • Welcome Guest!
  • |
  • Members Log In Close Panel
  •  
Home
 
  • Home
  • About us
  • Ethanol
  • Cogeneration
  • Environmental
  • Statistics
  • Distillery
  • Sugar Price
  • Sugar Process
  • Contact us

News


मिलों को बेहतर लाभ मिलने की संभावना
Date: 31 Jan 2017
Source: The Business Standard
Reporter: उज्ज्वल जौहरी
News ID: 6363
Pdf:
Nlink:

 चीनी शेयरों में तेजी के लिए आयात शुल्क में कटौती एक संभावित जोखिम
► बलरामपुर चीनी, हिंदुस्तान, बजाज और द्वारिकेश शुगर जैसी उत्तर प्रदेश की चीनी कंपनियों को अगले पेराई सीजन में बेहतर लाभ मिलने की संभावना

 

देश में चीनी उत्पादन के ताजा आंकड़े लगातार कमजोर उत्पादन के अनुमानों का संकेत दे रहे हैं। चीनी उत्पादन के लिहाज से दो प्रमुख राज्यों- महाराष्ट्र और कर्नाटक में कम बारिश की वजह से उत्पादन प्रभावित हुआ है, इसलिए देश में चीनी उत्पादन लगातार दूसरे साल घटने के आसार हैं। इससे चीनी की कीमतों में तेजी आई है।

केयर रेटिंग्स के मुताबिक पिछले साल 1 सितंबर से 22 सितंबर के बीच चीनी की कीमतें 35 रुपये से 35.8 रुपये प्रति किलोग्राम के बीच रहीं। हालांकि ये 6 जनवरी 2017 तक बढ़कर 37.5 रुपये प्रति किलोग्राम और 13 जनवरी 2017 को 39 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गईं। इसका असर चीनी कंपनियों के शेयरों पर भी दिखा है। बलरामपुर चीनी, बजाज हिंदुस्तान जैसी उत्तर प्रदेश की चीनी कंपनियों के शेयर 52 सप्ताह के सर्वोच्च स्तर को छू गए। यहां तक कि धामपुर शुगर, द्वारिकेश शुगर, डीसीएम श्रीराम आदि छोटी कंपनियों के शेयर भी मजबूती के साथ कारोबार कर रहे हैं। चीनी की मजबूत कीमतें आने वाले समय में चीनी विनिर्माताओं के मुनाफे को सहारा देंगी। हालांकि जैसे-जैसे चीनी की कीमतें बढ़ती जा रही हैं, वैसे वैसे कीमतों पर नियंत्रण और चीनी उपलब्धता बढ़ाने के लिए सरकारी उपायों का जोखिम भी बढ़ रहा है। 

 

 

 

इन सरकारी उपायों में से एक यह हो सकता है कि चीनी की पर्याप्त उपलब्धता के लिए आयात शुल्क कम कर दिया जाए। सरकार ने दो साल पहले अति आपूर्ति की स्थिति से निपटने और चीनी की कीमतों को सहारा देने के लिए आयात शुल्क 15 फीसदी से बढ़ाकर 40 फीसदी किया था। लेकिन अब सरकार कीमतों पर नियंत्रण और उपलब्धता बढ़ाने के लिए आयात शुल्क में कटौती भी कर सकती है। वर्ष 2015-16 के अंत में देश में 77 लाख टन चीनी का स्टॉक था, जो वर्ष 2016-17 के अंत में घटकर 60 लाख टन या इससे भी कम होने का अनुमान है। इस तरह तीन महीने की खपत से भी कम चीनी का स्टॉक रहने का अनुमान है, इसलिए सरकार द्वारा शुल्क को घटाकर आयात को प्रोत्साहित करने के प्रबल आसार हैं। 

 

 

 

इस समय चीनी की अंतरराष्ट्रीय कीमतें 0.2 डॉलर प्रति पाउंड के आसपास हैं। इसका मतलब है कि ये 30 से 31 रुपये प्रति किलोग्राम हैं। इस पर 40 फीसदी आयात शुल्क का मतलब है कि आयात की लागत 42 रुपये प्रति किलोग्राम आएगी। वहीं मालभाड़ा अलग से लगेगा, इसलिए फिलहाल आयात करना फायदे का सौदा नहीं है। 

 

 

हालांकि अगर आयात शुल्क घटाकर 15 फीसदी या खत्म कर दिया जाए तो आयात की लागत 34.50 से 30 रुपये प्रति किलोग्राम तक आ जाएगी और इसमें मालभाड़े की लागत भी जोड़ते हैं तो आयात करना व्यावहारिक है। ऐसी स्थिति में घरेलू बाजार में चीनी की कीमतों में तेजी पर रोक लग जाएगी। हालांकि अच्छी बात यह है कि चीनी की कीमतों में कुछ गिरावट के बावजूद चीनी विनिर्माताओं को अच्छा लाभ होता रहेगा। सबसे ज्यादा फायदा उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों को मिलने के आसार हैं क्योंकि राज्य में गन्ने की उपलब्धता अच्छी है और यह उनके लिए अच्छा पेराई सीजन साबित हो सकता है। 

 

 

 

इस्मा के मुताबिक नए चीनी वर्ष में 15 जनवरी तक महाराष्ट्र की चीनी मिलों का उत्पादन 28 फीसदी घटा है, जबकि इसी अवधि में उत्तर प्रदेश की मिलों का उत्पादन 31 फीसदी बढ़ा है। हालांकि उत्तर प्रदेश में गन्ना खरीदने के लिए राज्य परामर्शी मूल्य (एसएपी) में करीब 25 से 35 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है, जो राज्य की चीनी मिलों के लाभ का कुछ हिस्सा निगल सकता है।
 
  

Navigation

  • TV Interviews
  • Application Form For Associate Membership
  • Terms & Conditions (Associate Member)
  • ISMA President
  • Org. Structure
  • Associate Members(Regional Association)
  • Who Could be Member?
  • ISMA Committee
  • Past Presidents
  • New Developments
  • Publications
  • Acts & Orders
  • Landmark Cases
  • Forthcoming Events




Indian Sugar Mills Association (ISMA) © 2010 Privacy policy
Legal Terms & Disclaimer
 Maintained by