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चीनी उत्पादन कम, शेयरों में दम
Date: 10 Jan 2017
Source: Business Standard
Reporter: सुशील मिश्र
News ID: 6293
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प्रमुख चीनी उत्पादक राज्य महाराष्ट्र और कर्नाटक में कम उत्पादन और चीनी कंपनियों के कर्ज पुनर्गठन की खबरों ने चीनी शेयरों में मिठास बढ़ा दी है। चीनी कंपनियों के शेयर 52 सप्ताह के ऊपरी स्तर पर पहुंच गए हैं। प्रमुख चीनी कंपनियों के शेयर पिछले दो सप्ताह में 50 फीसदी तक मजबूत हुए हैं। कंपनियों के बेहतर तिमाही नतीजे आने की बढ़ती उम्मीदों के बीच आने वाले दिनों में चीनी शेयरों में और मिठास बढऩा तय माना जा रहा है। 
 
चीनी कंपनियों के शेयरों में मिठास लगातार बढ़ती जा रही है। शेयर बाजार में करीब सभी कंपनियों के शेयरों में तेजी का दौर जारी है। पिछले दो सप्ताह में चीनी कंपनियों के शेयरों की कीमत 50 फीसदी तक बढ़ गई। उत्तम शुगर के शेयर का दाम 47.40 रुपये से बढ़कर 70.60 रुपये, उगर शुगर 23.00 से बढ़कर 33.65 रुपये, तिरु अरूरन शुगर्स 49.45 से 69.96 रुपये, धामपुर शुगर 116.15 से बढ़कर 163.50 रुपये, अवध शुगर मिल्स 93.65 से बढ़कर 128.85 रुपये पर पहुंच गए। बीएसई में चीनी कंपनियां द्वारिकेश शुगर (381.45 रुपये), धामपुर शुगर (163.50), इंडियन स्क्रवर्स (38.15 रुपये) और केएम शुगर (31.35 रुपये) के शेयर पिछले 52 सप्ताह के उच्चतम स्तर पर आ गए।
 
शेयर बाजार के साथ हाजिर बाजार में भी चीनी महंगी हो रही है। पिछले दो सप्ताह में चीनी 104.50 रुपये महंगी हो गई, 26 दिसंबर को थोक बाजार में चीनी (एम ग्रेड) 3,785.50 रुपये प्रति क्ंिवटल थी जिसकी कीमत बढ़कर 9 जनवरी को 3,890 रुपये प्रति क्ंिवटल पहुंच गई। वायदा बाजार में भी निवेशकों को चीनी पसंद आने की वजह से चीनी की कीमत बढ़कर 3,850 रुपये प्रति क्ंिवटल हो गई जिसकी कीमत 20 दिसंबर को 3,519 रुपये क्ंिवटल बोली जा रही थी। चीनी महंगी होनी की वजह उत्पादन कम होना माना जा रहा है। 
 
ऐंजल कमोडिटी के रितेश कुमार साहू के मुताबिक महाराष्ट्र में चीनी का उत्पादन करीब 40 फीसदी कम होने की आशंका की वजह से बाजार में मांग बढ़ी है। कारोबारियों और स्टॉकिस्टों की तरफ से मांग निकलने की वजह से कीमतें बढ़ रही हैं। उत्तर प्रदेश में गन्ने के दाम बढऩे का भी असर चीनी पर पड़ेगा। चीनी केदाम बढऩे से चीनी कंपनियों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा जिसके कारण शेयरों में मजबूती आ रही है। 
 
चीनी वर्ष 2015-16 में पड़े सूखे का असर चालू चीनी वर्ष 2016-17 में देखने को मिल रहा है। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन के मुताबिक इस साल चीनी का उत्पादन पिछले साल की अपेक्षा कम रहने का अनुमान है क्योंकि महाराष्ट्र और कर्नाटक में उत्पादन अनुमान से भी कम रहने की संभावना है। पिछले साल सूखे की मार सबसे ज्यादा महाराष्ट्र के मराठवाड़ा, सोलापुर और अहमदनगर इलाके में पड़ी थी जिसके चलते इस इलाके में गन्ने की फसल कमजोर सूख गई थी। गन्ने की कमी के चलते अभी तक महाराष्ट्र की 25 चीनी मिलों में पेराई का काम बंद हो चुका है।
 

इस्मा द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक चालू चीनी वर्ष में 31 दिसंबर 2016 तक राज्य में 25.25 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है जबकि पिछले साल (31 दिसंबर 2015) इस समय तक 33.70 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। कोल्हापुर, सांगली, सातारा और पुणे जिले में सूखे का खास असर नहीं था जिसके चलते इन इलाकों में गन्ने की पिराई सामान्य है। गौरतलब है कि इन चार जिलों में महाराष्ट्र की 55-60 फीसदी चीनी का उत्पादन होता है। कर्नाटक में चीनी का उत्पादन कम होने की आशंका जताई जा रही है। चीनी वर्ष 2016-17 में 31 लाख टन चीनी उत्पादन होने का अनुमान है जबकि पिछले वर्ष कर्नाटक में 40.5 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। गन्ने की कमी के कारण अभी तक राज्य की पांच चीनी मिलों में पेराई बंद हो चुकी है। इस साल 56 चीनी मिलों में पेराई शुरू हुई थी।              

 
  

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