एक अहम संरक्षणवादी कदम उठाते हुए सरकार ने बांग्लादेश और नेपाल से आयातित जूट के सामान पर डंपिंग रोधी शुल्क लगा दिया है। यह शुल्क 8 डॉलर से 350 डॉलर प्रति टन के बीच होगा, जो बांग्लादेश और नेपाल से भारत आने वाले जूट के विभिन्न उत्पादों पर लगेगा। इस डंपिंग रोधी शुल्क की अधिसूचना केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने कल जारी की, क्योंकि जूट उत्पादों की डंपिंग से इन उत्पादों की घरेलू कीमतें घटती जा रही थीं। डंपिंग की वजह से घरेलू जूट उद्योग का प्रदर्शन निवेश पर लाभ प्रतिफल और नकदी प्रवाह के लिहाज से खराब बिगड़ता जा रहा था।
वित्त मंत्रालय की अधिसूचना के मुताबिक डंपिंग रोधी शुल्क पांच साल तक लागू रहेगा, बशर्ते कि इसे बदला या वापस नहीं लिया जाता है। इस शुल्क की अदायगी भारतीय रुपये में करनी होगी। इस शुल्क के दायरे में जूट उत्पादों की जो श्रेणियां आएंगी, उनमें जूट धागा, बोरियां, सुतली और टाट शामिल हैं। जूट बोरियों के घरेलू विनिर्माता डंपिंग मार्जिन से प्रभावित हुए हैं और उन्हें बांग्लादेश और नेपाल के विनिर्माताओं के निर्यात से नुकसान झेलना पड़ रहा है। एक्स-फैक्टरी कीमत और बांग्लादेश और नेपाल के निर्यात की कीमतों की तुलना से बड़े डंपिंग मार्जिन का पता चलता है।