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नोटबंदी से घटी चीनी की खपत, कई मिलें बंद
Date: 04 Jan 2017
Source: Business Standard
Reporter: राजेश भयानी
News ID: 6274
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भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) चीनी वर्ष 2016-17 के लिए चीनी खपत के अनुमान में संशोधन कर सकता है। इसके तहत चीनी खपत कम रहने की संभावना है। इस्मा अगले पखवाड़े चीनी उत्पादन की भी समीक्षा करेगा। इससे पहले इस्मा ने चालू चीनी वर्ष में 234 लाख टन चीनी उत्पादन का अनुमान लगाया था। इस अनुमान में अब कमी की जा सकती है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने 225 लाख टन चीनी उत्पादन का अनुमान लगाया है।
 
चालू चीनी वर्ष के पहले तीन माह (अक्टूबर-दिसंबर)के दौरान मिलों से चीनी के उठाव में भारी गिरावट आई है। क्योंकि इस दौरान मुद्रा की कम उपलब्धता के कारण शादियों व पारिवारिक समारोहों के साथ चीनी से बनने वाले उत्पादों जैसे बिस्कुट, चॉकलेट, आइसक्रीम, पेय आदि की ओर से चीनी की मांग कम रही जिससे चीनी की करीब 5 लाख टन मांग खत्म हो गई। इसलिए वर्ष 2016-17 में अनुमानित चीनी खपत 255 लाख टन में कमी आ सकती है। इससे पहले खपत 2 फीसदी बढऩे की संभावना थी। अब खपत पिछले वर्ष की खपत 248 लाख टन से भी कम रहने की संभावना है। राज्यों द्वारा गन्ने की कीमत बढ़ाने से चीनी उत्पादन की औसतन लागत 2 रुपये किलो बढ़कर 35 से 36 रुपये हो गई है, जबकि इस्मा के मुताबिक नवंबर के दूसरे सप्ताह से 2 से 3 रुपये प्रति किलो गिर चुकी चीनी की एक्स मिल कीमतें अब सुधरने लगी हैं। 
 

हालांकि इससे चीनी की उत्पादन लागत ही निकल सकती है। पहले के मुकाबले चीनी उत्पादन घटने की रिपोर्ट से पिछले दो सप्ताह से खुदरा बाजार में भी चीनी के दाम बढ़े हैं। चालू चीनी वर्ष में दिसंबर तक 462 चीनी मिलें 80.90 लाख टन चीनी उत्पादन कर चुकी हैं, जो पिछली समान अवधि के मुकाबले महज 0.4 फीसदी अधिक है। महाराष्टï्र में 147 चीनी मिलों में उत्पादन हो रहा है। हालांकि 25 मिलों ने उत्पादन करना बंद कर दिया है। इनमें से ज्यादातर मिले सूखे से प्रभावित मराठवाड़ा, सोलापुर व अहमदनगर से संबंधित हैं। दिसंबर तक उत्तर प्रदेश में 116 मिलों में चीनी का उत्पादन हो रहा है। कर्नाटक में 56 मिलें चल रही हैं, जबकि पांच मिलें बंद हो चुकी हैं।              

 
  

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