चीनी कंपनियों के शेयरों में आज 20 फीसदी तक की उछाल दर्ज की गई। गौरतलब है कि नोटबंदी के कारण चीनी की खुदरा और थोक खरीद घट गई थी, लेकिन पिछले कुछ दिनों से बाजार में फिर खरीद का माहौल बना है। पैरी शुगर का शेयर आज सबसे ज्यादा 19.9 फीसदी उछलकर 47.9 रुपये पर बंद हुआ। वहीं उत्तम शुगर के शेयर की कीमत 12.3 फीसदी बढ़कर 49.7 रुपये पर पहुंच गई। अपर गैंजेज शुगर का शेयर 10 फीसदी चढ़कर 271.5 रुपये और द्वारिकेश शुगर का शेयर 9 फीसदी उछलकर 288.6 रुपये पर बंद हुआ। त्रिवेणी इंजीनियरिंग का शेयर 5.6 फीसदी चढ़कर 56.6 रुपये और सिंभावली शुगर्स का शेयर 5.4 फीसदी चढ़कर 27.25 रुपये पर बंद हुआ।
इससे नोटबंदी के बाद चीनी कंपनियों के शेयरों में गिरावट की करीब आधी भरपाई हो गई है। 8 नवंबर को 500 और 1,000 रुपये के बड़े नोट बंद किए जाने की घोषणा के तत्काल बाद अपर गैंजेज का शेयर 33 फीसदी तक लुढ़का था। भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) के महानिदेशक अविनाश वर्मा ने कहा, 'नोटबंदी के बाद चीनी की कीमतें 2 से 3 रुपये प्रति किलोग्राम गिर गई थीं, लेकिन उसके बाद कम से कम 0.75 रुपये प्रति किलोग्राम तक सुधर गई हैं।' इस साल देश में चीनी का उत्पादन घटने के अनुमानों के बाद फंडामेंटल सकारात्मक बने हुए थे। इस्मा का अनुमान है कि चालू चीनी सीजन (2016-17, सितंबर 2017 में समाप्त होगा) में 234 लाख चीनी का उत्पादन होगा, जो 2015-16 के उत्पादन 251 लाख टन और 2014-15 के उत्पादन 283 लाख टन से कम है।
इसके अलावा इस साल वैश्विक स्तर पर चीनी की उपलब्धता कम रहने के अनुमानों से घरेलू बाजार में चीनी की कीमतों में मजबूती के रुझानों को सहारा मिल रहा है। रेटिंग एजेंसी इक्रा की हाल की एक रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में चीनी की उपलब्धता मांग से कम रहने के कारण निकट भविष्य में इसकी कीमतें मजबूत रहने के आसार हैं। इक्रा के प्रमुख (कॉरपोरेट रेटिंग) सव्यसाची मजूमदार ने कहा, 'सरकार का ताजा अनुमान है कि चीनी का उत्पादन पिछले साल से 10 फीसदी कम रहेगा, इसलिए अगली 3 से 4 तिमाहियों में कीमतेंं मजबूत रहने के आसार हैं। यह और उत्तर प्रदेश सहित ज्यादातर राज्यों में गन्ने की कीमतों में मामूली बढ़ोतरी इस उद्योग के लघु अवधि के लाभ परिदृश्य के लिए सकारात्मक हैं।' इस साल घरेलू बाजार में चीनी के दाम मजबूत बने हुए हैं। मार्च में दाम 31.500 रुपये प्रति टन थे, जो अगस्त में बढ़कर 36,000 रुपये प्रति टन पर पहुंच गए। हालांकि सितंबर में चीनी के दाम स्थिर रहे, लेकिन अक्टूबर में कीमतों में बढ़ोतरी जारी रही और चीनी पांच साल के सर्वोच्च स्तर 36,200 रुपये प्रति टन पर पहुंच गई। नोटबंदी की घोषणा के बाद नवंबर में कीमतें मामूली गिरकर 35,500 रुपये प्रति टन पर आ गई थीं। कारोबारी सूत्रों ने कहा कि नकदी की समस्या दूर होने के बाद खुदरा ग्राहक बाजार में आने लगे हैं।
इसके साथ ही बड़े खरीदारों ने भी पिछले कुछ दिन से खरीद शुरू कर दी है, जिससे बाजार का रुझान पलटा है।