नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के चलते रसोईघर में मीठा घोलने वाली चीनी का स्वाद फीका हो सकता है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि चुनाव आते ही उत्तर प्रदेश में दाम बढ़ जाते हैं जो उपभोक्ताओं की मुश्किलें बढ़ा देते हैं।
प्रमुख चीनी उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में सूखे के चलते गन्ने की पैदावार बहुत कम है। इसकी वजह से सूबे की ज्यादातर चीनी मिलों में जनवरी में ही पेराई बंद हो जायेगी।
गडकरी ने आशंका जताई 'चीनी इतनी भी न महंगी हो जाये कि कड़वी लगने लगे।' चीनी उत्पादन घटने से जिंस बाजार में चीनी के मूल्य का बढ़ना तय है। चीनी उद्योग के लिए यह अच्छा संकेत हो सकता है लेकिन उपभोक्ताओं की मुश्किलें बढ़ जायेंगी।
केंद्रीय सड़क व परिवहन मंत्री गडकरी सोमवार को यहां इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) की सालाना वार्षिक बैठक में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि ऐसा होने पर सरकार चीनी आयात करने के लिए बाध्य होगी। उत्तर प्रदेश में चीनी मिल मालिक बहुत खुश होंगे। वहां के किसानों को भी उनके गन्ने का अच्छा मूल्य मिलेगा।
लेकिन इसका सीधा असर देशभर के उपभोक्ताओं पर पड़ना तय है। सालाना आम बैठक में अपने अध्यक्षीय भाषण में इस्मा अध्यक्ष तरुण साहनी ने चीनी के मूल्य को 45 रुपये प्रति किलो तक बढ़ते देखना चाहते हैं। ताकि चीनी उद्योग के दो सालो से चले आ रहे पुराने घाटे की भरपाई हो जाए।
साहनी ने कहा कि चीनी की उत्पादन लागत 33 रुपये प्रति किलो आ रही है। चीनी उद्योग का सरकार से आग्र्रह है कि चीनी का खुदरा मूल्य 43 से 45 रुपये प्रति किलो तक होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को गन्ने का राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) तय करने का अधिकार नहीं होना चाहिए। केंद्र सरकार को इसकी छूट नहीं देनी चाहिए।
साहनी ने गन्ने का मूल्य तय करने का नया फॉर्मूला बनाने पर जोर दिया। केंद्रीय मंत्री गडकरी ने चीनी उद्योग से गन्ने की उत्पादकता को बढ़ाने, चीनी मिलों की प्रौद्योगिकी को आधुनिकतम बनाने और चीनी उद्योग से जुड़े अन्य सहयोगी उद्योगों को मजबूत बनाने की अपील की।
चीनी के साथ अब एथनॉल में सेकंड जेनरेशन एथनॉल के उत्पादन पर जोर देने को कहा। आम बैठक में देशभर से 200 से से अधिक चीनी मिल मालिकों ने हिस्सा लिया।