कम घरेलू उत्पादन के अनुमानों और वैश्विक बाजार में कम उपलब्धता के पूर्वानुमानों से चीनी की कीमतें ऊंची बनी रहने के आसार हैं। इससे अगले कुछ महीनों तक चीनी मिलों का मुनाफा सुधरेगा। रेटिंग एजेंसी इक्रा ने अपनी ताजा रिपोर्ट में यह कहा है।
केंद्रीय खाद्य मंत्री राम विलास पासवान ने हाल में कहा था कि चीनी सीजन 2016-17 के लिए सरकार का उत्पादन अनुमान 225 लाख टन है। यह इस क्षेत्र की संस्था भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) के पूर्वानुमान 233.7 लाख टन से थोड़ा कम है। देश में चीनी की अनुमानित खपत 235 लाख टन है। इस तरह चीनी वर्ष 2016-17 में उत्पादन खपत से कम रहेगा। रिपोर्ट में कहा गया है, 'घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में मांग की तुलना में कम आपूर्ति की स्थिति है, इसलिए अगले कुछ महीनों के दौरान चीनी की कीमतें मजबूत रहने के आसार हैं। इससे और ज्यादातर राज्यों में चालू चीनी वर्ष में गन्ने की सामान्य कीमतों से मिलों का मुनाफा बढ़ेगा।' घरेलू बाजार में चीनी के दाम मजबूत बने हुए हैं। इस साल मार्च में चीनी के दाम 31,500 रुपये प्रति टन के आसपास थे, जो अगस्त में 36,000 रुपये प्रति टन पर पहुंच गए। इस साल सितंबर में 36,000 रुपये पर कीमतें स्थिर होने के बाद अक्टूबर में दाम बढ़े हैं। अक्टूबर में चीनी के दाम पिछले 5 साल के सर्वोच्च स्तर 36,200 रुपये प्रति टन पर पहुंच गए। नोटबंदी की घोषणा के बाद चीनी की कीमतों में मामूली गिरावट आई है। इसके बावजूद नवंबर में कीमतें 35,500 रुपये प्रति पर बनी रहीं। इक्रा के प्रमुख (कॉरपोरेट रेटिंग) सब्यसाची मजूमदार ने कहा, 'हाल के सरकारी अनुमानों में चीनी उत्पादन पिछले साल से 10 फीसदी कम रहने की बात कही गई है, इसलिए चीनी के दाम अगली 3 से 4 तिमाहियों तक मजबूत रहेंगे। इसके अलावा उत्तर प्रदेश सहित ज्यादातर राज्यों में गन्ने के दाम मामूली बढ़ाए गए हैं, इसलिए निकट भविष्य में इस उद्योग का मुनाफा बेहतर रहने की संभावना है।'
हालांकि देश के उपभोक्ताओं को अभी चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि देश में चीनी का पर्याप्त स्टॉक है। इस्मा के आंकड़ों में दिखाया गया है कि चीनी सीजन 2015-16 में 77 लाख टन स्टॉक बचा था। यह घरेलू और निर्यात मांग पूरी करने के लिए पर्याप्त रहेगा और चीनी सीजन 2017-18 के लिए 47 लाख टन चीनी बच भी जाएगी।