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सीजन शुरू होने से पहले शुगर मिलों को कैश की किल्लत
Date: 04 Oct 2016
Source: Economic Times Hindi
Reporter: जयश्री भोसले
News ID: 6024
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महाराष्ट्र की शुगर मिलों को अगले क्रशिंग सीजन की शुरुआत 40 पर्सेंट कम लोन के साथ करनी पड़ेगी। इस सीजन के शुरू होने में बस एक महीने का समय बचा है। उन्हें यह भी डर सता रहा है कि वे केंद्र सरकार की तरफ से तय कोटे के मुताबिक चीनी नहीं बेच पाएंगी।

महाराष्ट्र स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक राज्य में मिलों को सबसे अधिक कर्ज देता आया है। उसने क्रशिंग सीजन शुरू होने से पहले लोन की रकम में 40 पर्सेंट तक की कटौती की है। 2016-17 सीजन के लिए उसने मिलों को दिए जाने वाली लोन की रकम घटाकर 225 करोड़ कर दी है, जो पिछले साल 400 करोड़ थी। को-ऑपरेटिव बैंक ने गन्ने की बुआई में गिरावट के चलते यह कदम उठाया है। बैंक राज्य की 14 शुगर को-ऑपरेटिव की फंडिंग करता है। उसे डर है कि मिलों को उसका लोन चुकाने में दिक्कत हो सकती है।

महाराष्ट्र स्टेट को-ऑपरेटिव बैंक यानी एमएससी बैंक के मैनेजिंग डायरेक्टर प्रमोद कर्नाड ने बताया, 'कई मिलें इस साल पूरी प्रॉडक्शन कैपेसिटी का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगी। ऐसे में उनके लिए लोन चुकाना मुश्किल हो सकता है।' वहीं, राज्य में जिन शुगर को-ऑपरेटिव्स की वित्तीय हालत अच्छी है, वे सीजन शुरू होने से पहले कर्ज नहीं लेते। हालांकि, जो मिलें बैंक फंडिंग पर आश्रित हैं, उनके लिए किसानों को एडवांस पेमेंट करने और लोन की किस्त चुकाने में दिक्कत होगी। केंद्र सरकार मिलों के लिए मंथली शुगर कोटा तय करती है। अगर मिलें उसके मुताबिक चीनी नहीं बेच पाती हैं तो उनकी परेशानी और बढ़ सकती है। शुगर मिलों को सितंबर तक सिर्फ 37 पर्सेंट स्टॉक रखना था, लेकिन माना जा रहा है कि कई मिलों के पास इससे अधिक चीनी पड़ी हुई है। जिला प्रशासन इस मामलों में जांच कर रहा है। वह पता लगा रहा है कि मिलों की तरफ से कोटे के मुताबिक चीनी बेचने में कोताही तो नहीं बरती गई है। साउथ महाराष्ट्र के शुगर को-ऑपरेटिव के मैनेजिंग डायरेक्टर ने बताया, 'सरकार अधिकारी मिलों की जांच करने निकल रहे हैं। वे जमीनी हालात का पता लगा रहे हैं। हमें डर है कि सरकार इस मामले में एक्शन ले सकती है।' माना जा रहा है कि साउथ महाराष्ट्र में मिलों ने केंद्र सरकार के तय कोटे के मुताबिक चीनी की बिक्री नहीं की है।

दरअसल, सरकार नहीं चाहती कि चीनी की कीमतें बढ़ें। खासतौर पर फेस्टिव सीजन के दौरान चीनी के दाम बढ़ने पर उसे लोगों की नाराजगी बढ़ने का डर है। इसलिए वह उन मिलों पर सख्ती कर सकती है, जिन्होंने तय कोटे के मुताबिक चीनी की बिक्री नहीं की है।

 
  

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