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चीनी मिलों पर लगी स्टॉक सीमा
Date: 10 Sep 2016
Source: Business Standard Hindi
Reporter: Sanjeeb Mukherjee
News ID: 5951
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केंद्र सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि चीनी मिलें अपने पास उपलब्ध चीनी बाजार में बेचें। इसके लिए सरकार ने मिलों के लिए स्टॉक रखने की अधिकतम सीमा तय की है। गुरुवार को जारी अधिसूचना में केंद्र ने कहा कि चीनी मिलें 30 सितंबर 2016 तक अपने पास उपलब्ध कुल चीनी में से 37 फीसदी से ज्यादा का स्टॉक न रखें। मिलों को 31 अक्टूबर 2016 यह स्टॉक 24 फीसदी से नीचे लाना होगा। 
 
अगर मिलों के पास निर्धारित सीमा से ज्यादा चीनी पाई गई तो सरकार उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी। सूत्रों ने कहा कि सरकार के इस आदेश से 50 से 60 मिलों पर सीधा असर पड़ेगा क्योंकि उनके पास निर्धारित मात्रा से ज्यादा चीनी का स्टॉक है। सूत्रों ने कहा, 'इनमें से 15 से 20 मिलें तो ऐसी हैं, जिन्होंने अपने उपलब्ध माल में से 80 फीसदी का स्टॉक कर रखा है।' गैर-आधिकारिक अनुमानों के मुताबिक सितंबर 2016 के अंत में मिलों के पास कुल स्टॉक 73 लाख टन होगा, जो अक्टूबर के अंत तक घटकर 45.2 लाख टन के स्तर पर आ जाएगा। 
 
अधिसूचना के मुताबिक कुल उपलब्धता का आकलन मिलों के पास एक अक्टूबर 2015 को पिछले साल की बची चीनी और सीजन (अक्टूबर से सितंबर) 2015-16 में चीनी के कुल उत्पादन को जोड़कर और वर्ष के दौरान निर्यातित मात्रा को घटाकर किया जाएगा। उदाहरण के लिए अगर किसी मिल के पास 2015-16 सीजन की शुरुआत में पिछले साल की उपलब्ध चीनी 100 लाख टन थी और वर्ष के दौरान उसका उत्पादन 50 लाख टन और निर्यात 30 लाख टन रहा। इस तरह उस मिल की स्टॉक सीमा उपलब्ध 120 लाख टन चीनी के आधार पर होगी। 
 
पिछले कुछ महीनों से चीनी की खुदरा कीमतें बढ़ रही हैं और अब ये 40 से 42 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गई हैं। सरकार के मुताबिक चीनी मिलें हेराफेरी करने वाले कारोबारियों के साथ मिलकर त्योहारी सीजन के दौरान आपूर्ति में कमी का फायदा उठाकर कीमतों को और बढ़ा सकती हैं। इस पर रोक लगाने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं, जिनमें निर्यात पर प्रोत्साहनों को खत्म करना, एथेनॉल का उत्पादन और निर्यात पर शुल्क लगाना आदि शामिल हैं। 
 

देश में चीनी का उत्पादन सीजन 2015-16 में घटकर 250 लाख टन रहने का अनुमान है, जो पिछले साल 283 लाख टन था। अगले साल की स्थिति ज्यादा उत्साहजनक नजर नहीं आ रही है क्योंकि चीनी उत्पादन घटकर 232.6 लाख टन रहने का अनुमान है। हालांकि इस उद्योग से जुड़े कुछ लोगों का कहना है कि देश की घरेलू मांग पूरी करने के लिए चीनी का पर्याप्त स्टॉक उपलब्ध होगा क्योंकि देश में पिछले साल का बचा हुआ स्टॉक 70 लाख टन होगा। गौरतलब है कि देश में चीनी की सालाना मांग 260 लाख टन है।               

 
  

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