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कच्ची चीनी निर्यात पर शुल्क नहीं
Date: 08 Jul 2016
Source: The Business Standard
Reporter: अजय मोदी
News ID: 5736
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              सरकार ने कहा है कि आयातित कच्ची चीनी को परिशोधित करने के बाद निर्यात पर कोई शुल्क नहीं लगेगा। यह एक महत्त्वपूर्ण कदम है और माना जा रहा है कि इसे निर्यात केंद्रित चीनी रिफाइनरियों को राहत मिलेगी। साथ ही इससे विभिन्न बंदरगाहों पर फंसी चीनी की खेप की रवानगी शुरू हो जाएगी। सरकार ने पिछले महीने घरेलू बाजार में चीनी की उपलब्धता सुनिश्चित करने और कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए स्थानीय स्तर पर उत्पादित चीनी पर 20 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगा दिया था। इससे अनजाने में ही कच्ची चीनी के निर्यात पर असर पड़ा। देसी रिफाइनरियां निर्यात के उद्देश्य से कच्ची चीनी का आयात करती हैं।

 

नतीजा यह हुआ कि रिफाइनरियों की करीब 200,000 टन परिष्कृत चीनी की खेप कांडला और मुंद्रा बंदरगाहों पर पिछले कई दिनों से फंसी है। इनकी कीमत करीब 700 करोड़ रुपये बताई गई है। इनमें ज्यादातर खेप का निर्यात पश्चिम एशिया और अफ्रीका के बाजारों को होना था। बुधवार को जारी संशोधन में कहा गया कि जितनी चीनी आयात की गई है, अगर उतनी ही निर्यात की जाएगी तो उस पर कोई शुल्क नहीं लगेगा।

 

भारत में चार चीनी रिफाइनरियां हैं, जो तीन चीनी कंपनियों के नियंत्रण में हैं। रेणुका शुगर्स की कांडला और हल्दिया में एक-एक रिफाइनरी है। इसी तरह ईआईडी पैरी की काकीनाडा में रिफाइनरी है। सिंभावली शुगर्स गुराजत के कच्छ में वैश्विक जिंस कारोबार कंपनी ईडीऐंडएफ मैन के साथ मिलकर रिफाइनरी का संचालन करती है। ये रिफाइनरियां ब्राजील जैसे देशों से कच्ची चीनी का आयात करती हैं। यह आयात अग्रिम अधिकार योजना के तहत होता है, इसलिए कोई शुल्क नहीं लगता है। लेकिन घरेलू बाजार में इस चीनी की बिक्री की इजाजत नहीं है और आयात के छह महीने के भीतर ही इसका निर्यात करना अनिवार्य है। इस पूरी प्रकिया में रिफाइनरियों को मार्जिन मिलता है।

 

हाल के वर्षों में रिफाइनिंग कारोबार में तेजी दर्ज की गई है। घरेलू रिफाइनरियों से परिष्कृत चीनी का निर्यात 30 सितंबर 2013 को समाप्त वर्ष के 700,000 टन के मुकाबले दोगुना होकर मौजूदा चीनी सत्र (अक्टूबर 2015 से सितंबर 2016) में 14,00,000 टन हो गया है। चीनी एक संवेदनशील जिंस है जिसका थोक मूल्य सूचकांक में भारांश 1.73 प्रतिशत है। 30 सितंबर को समाप्त होने वाले 2015-16 के चीनी सत्र में देश में चीनी का उत्पादन 10 प्रतिशत कम रहने की आशंका है।

 

वर्ष 2015-16 के चीनी सत्र में देश का चीनी उत्पादन लगभग 10 फीसदी घटकर 2.52 करोड़ टन रहने का अनुमान है। पिछले साल कीमतें 45 फीसदी तक बढ़ कर उस स्तर पर पहुंच गईं थीं जिस पर मिलों को चीनी की बिक्री पर नकद नुकसान नहीं उठाना पड़ रहा था। अगले सीजन में चीनी उत्पादन में लगभग 10 फीसदी तक की कमी आने का अनुमान है। देश में सबसे बड़े गन्ना उत्पादक महाराष्टï्र में जल संकट की वजह से चीनी उत्पादन प्रभावित होने का अनुमान है।

 
  

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