पिछले एक साल से एक सीमित दायरे में रहने के बाद शुगर (चीनी) कंपनियों के शेयरों में फिर तेजी का माहौल बनने लगा है। इसके कई कारण हैं। विश्व स्तर पर उत्पादन घटने की आशंका, वैश्विक बाजार में चीनी की कीमतें 12 वर्षों की ऊंचाई पर पहुंचना, भारत में भी तेजी का रूख, पेट्रोल में मिश्रण (ब्लैंडिंग) के लिए इथेनॉल का उत्पादन बढ़ना तथा शुगर कंपनियों का बढ़ता मुनाफा और लगातार मजबूत होती वित्तीय स्थिति। सबसे महत्वपूर्ण यह कि भारत की शुगर इंडस्ट्री (Sugar Industry), जो सरप्लस उत्पादन के कारण ‘कभी नफा, कभी नुकसान’ में चलती थी, की तस्वीर अब पूरी तरह बदल चुकी है। पेट्रोलियम आयात खर्च घटाने के लिए सरकार का 2025-26 तक पेट्रोल में 20% तक इथेनॉल ब्लैंडिंग (Ethanol Blending) का लक्ष्य रखे जाने का फैसला शुगर कंपनियों के लिए ‘गेम चेंजर’ साबित हुआ है। इसके कारण शुगर कंपनियां अब लगातार मुनाफा कमाने लगी है। कंपनियां अब शुगर के बजाय इथेनॉल उत्पादन पर अधिक जोर दे रही हैं। क्योंकि इथेनॉल इनके लिए लाभकारी और नकद आय वाला बिजनेस है। इथेनॉल स्टोरी से संस्थागत निवेशकों का भी शुगर इंडस्ट्री के प्रति नजरिया बदल गया है और वे शुगर कंपनियों के शेयरों (Sugar Stocks) में निवेश में रूचि लेने लगे हैं।