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शुगर शेयरों की बढ़ेगी ‘मिठास’, नई ऊंचाइयों पर पहुंचने को बेताब
Date: 25 Sep 2023
Source: Nav Bharat
Reporter:
News ID: 56981
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              पिछले एक साल से एक सीमित दायरे में रहने के बाद शुगर (चीनी) कंपनियों के शेयरों में फिर तेजी का माहौल बनने लगा है। इसके कई कारण हैं। विश्व स्तर पर उत्पादन घटने की आशंका, वैश्विक बाजार में चीनी की कीमतें 12 वर्षों की ऊंचाई पर पहुंचना, भारत में भी तेजी का रूख, पेट्रोल में मिश्रण (ब्लैंडिंग) के लिए इथेनॉल का उत्पादन बढ़ना तथा शुगर कंपनियों का बढ़ता मुनाफा और लगातार मजबूत होती वित्तीय स्थिति। सबसे महत्वपूर्ण यह कि भारत की शुगर इंडस्ट्री (Sugar Industry), जो सरप्लस उत्पादन के कारण ‘कभी नफा, कभी नुकसान’ में चलती थी, की तस्वीर अब पूरी तरह बदल चुकी है। पेट्रोलियम आयात खर्च घटाने के लिए सरकार का 2025-26 तक पेट्रोल में 20% तक इथेनॉल ब्लैंडिंग (Ethanol Blending) का लक्ष्य रखे जाने का फैसला शुगर कंपनियों के लिए ‘गेम चेंजर’ साबित हुआ है। इसके कारण शुगर कंपनियां अब लगातार मुनाफा कमाने लगी है। कंपनियां अब शुगर के बजाय इथेनॉल उत्पादन पर अधिक जोर दे रही हैं। क्योंकि इथेनॉल इनके लिए लाभकारी और नकद आय वाला बिजनेस है। इथेनॉल स्टोरी से संस्थागत निवेशकों का भी शुगर इंडस्ट्री के प्रति नजरिया बदल गया है और वे शुगर कंपनियों के शेयरों (Sugar Stocks) में निवेश में रूचि लेने लगे हैं।

 
तेजी के 3 मुख्य कारण
 
1) 40% तक बढ़ी वैश्विक चीनी कीमतें
इस साल वैश्विक स्तर पर चीनी का उत्पादन घटने की आशंका है। सबसे बड़े उत्पादक ब्राजील में अवश्य अच्छे मानसून के कारण रिकॉर्ड 40 मिलियन टन उत्पादन बढ़ने की उम्मीद है, लेकिन तीसरे बड़े उत्पादक थाइलैंड में सूखे के कारण उत्पादन में ज्यादा गिरावट की संभावना व्यक्त की जा रही है। आस्ट्रेलिया में भी कुछ यही हालात हैं। इसके अलावा क्रूड ऑयल के दाम 100 डॉलर के नजदीक पहुंचने से ब्राजील चीनी के बजाय इथेनॉल उत्पादन बढ़ाने पर जोर दे सकता है। दुनिया में भारत चीनी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है, लेकिन यहां भी पिछले साल (2022-23) उत्पादन घटकर 37.3 मिलियन टन पर रह गया, जो 2021-22 में 39.2 मिलियन टन था। इस साल महाराष्ट्र और कर्नाटक में कम बारिश से देश का कुल उत्पादन अगले वर्ष घटकर 33.5 मिलियन टन रहने की आशंका है। इस तरह वैश्विक उत्पादन घटने की वजह से वैश्विक कीमतें 12 वर्षों की ऊंचाई पर पहुंच गयी है। लंदन में रिफाइंड शुगर के दाम 730 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गए हैं, यह अगस्त 2011 के बाद सर्वाधिक उच्च स्तर है। तब दाम 822 डॉलर तक पहुंच गए थे। पिछले एक साल में वैश्विक स्तर पर 40% का उछाल आया है। न्यूयार्क में रॉ शुगर के दाम भी 27 सेंट प्रति पाउंड के पार हो गए हैं। वैश्विक कीमतों की रुपए में गणना की जाए तो रिफाइंड शुगर 60 रुपए और रॉ शुगर 48 रुपए प्रति किलो होती हैं। जबकि भारतीय बाजार में मौजूदा भाव 38 से 40 रुपए प्रति किलो है। परंतु वैश्विक तेजी का सीधा असर भारतीय बाजार पर नहीं पड़ रहा है क्योंकि सरकार ने निर्यात बंद कर दिया है। अन्यथा यहां कीमतें भड़क उठती।
 
2) 10% तक बढ़े भारत में दाम
भारत में चीनी कीमतें पिछले एक साल से 3400-3500 रुपए प्रति क्विंटल की रेंज में थी, परंतु अब तेजी आने लगी है। अगस्त के दौरान बहुत कम बारिश होने से इस साल सबसे बड़े उत्पादक राज्य महाराष्ट्र का चीनी उत्पादन 20% तक घटने की आशंका जताई जा रही है। महाराष्ट्र का उत्पादन पिछले साल 10.5 मिलियन टन रहा था, जो 85 लाख टन पर आ सकता है। तीसरे बड़े उत्पादक राज्य कर्नाटक में भी उत्पादन घटने की आशंका है। इस कारण घरेलू बाजारों में तेजी आने लगी है। थोक दाम पिछले दो माह में करीब 10% बढ़कर 3850-4000 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गए हैं। हालांकि सरकार निर्यात प्रतिबंध, स्टॉक लिमिट जैसे उपाय कर दाम नियंत्रित करने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन देश में उत्पादन घटने से चीनी का सरप्लस स्टॉक 5 वर्षों के निचले स्तर (4.50 मिलियन टन) पर आने से कीमतों में तेजी का रूख बने रहने की संभावना है। आगामी त्योहारी सीजन में दाम और भी बढ़ सकते हैं।  
 
3) 6 गुना बढ़ी इथेनॉल की खपत
सभी शुगर कंपनियां इथेनॉल का उत्पादन बढ़ाने में जुट गयी है। पेट्रोल में इथेनॉल की ब्लैंडिंग करीब 12% तक पहुंच गयी है। जबकि 2017 में तो मात्र 2% ही हो रही थी। विगत 6 ‍वर्षों में 6 गुना वृद्धि होने से शुगर कंपनियों के मुनाफे में भी अच्छा इजाफा हुआ है। अगले तीन वर्षों में 20% तक पहुंचाने के लिए इथेनॉल की मांग और बढ़ेगी। क्रूड ऑयल में फिर तेजी आने से तेल कंपनियों की तरफ से इथेनॉल की मांग में भी तेजी आएगी। और इथेनॉल चीनी कंपनियों के लिए फायदे का सौदा है। लिहाजा वे और क्षमता बढ़ाएंगी। चीनी के दाम और इथेनॉल उत्पादन बढ़ने से अगली छमाही में शुगर कंपनियों के रिजल्ट बेहतर आने की उम्मीद बन गयी है।  
 
 
निवेश में जोखिम कम, फायदे के आसार अधिक: प्रशांत तापसे
ब्रोकिंग एवं रिसर्च फर्म मेहता इक्विटीज लिमिटेड (Mehta Equities Ltd।) के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट (रिसर्च) प्रशांत तापसे (Prashant Tapse) का कहना है कि वैल्यूएशन और ग्रोथ आउटलुक की दृष्टि से वर्तमान में शुगर शेयर काफी आकर्षक दिख रहे हैं। पिछले 6 महीनों के दौरान तमाम उद्योग क्षेत्रों की मिड और स्मॉलकैप कंपनियों के शेयरों में आई भारी तेजी के कारण सभी की वैल्यूएशन महंगी हो गयी है और उनमें जोखिम बढ़ गया है। कई शेयर तो 50 से 70 के महंगे पीई रेशियो (PE Ratio) पर पहुंच गए हैं। इसके विपरीत शुगर कंपनियों के शेयर 10 से 15 के बहुत सस्ते वैल्यूएशन पर ही उपलब्ध हैं और आगामी वर्षों में मुनाफा बढ़ने की भी पूरी उम्मीद है। इनके शेयर पिछले एक साल से एक सीमित रेंज में हैं और लंबे कंसोलिडेशन के बाद नई ऊंचाइयों पर पहुंचने को बेताब हैं। निवेशक इनमें अच्छे रिटर्न के लिए लॉन्ग टर्म नजरिए के साथ निवेश कर सकते हैं। बलरामपुर चीनी, त्रिवेणी इंजिनियरिंग, रेणुका शुगर, डीसीएम श्रीराम, अवध शुगर, धामपुर शुगर, धामपुर बायो, डालमिया भारत, द्वारिकेश शुगर इस इंडस्ट्री की सबसे अच्छी कंपनियां मानी जाती हैं। इनके प्लांट प्रमुख उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में होने के कारण इन्हें आसानी से गन्ना उपलब्ध है। निवेशकों को निरंतर डिविडेंड देने और शेयर बायबैक करने के साथ-साथ इथेनॉल उत्पादन क्षमता बढ़ाने में ये सबसे आगे हैं। 
 
  

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