चीनी निर्यात पर 20 फीसद शुल्क लगने से मिलों की चिंताएं बढ़ गई हैं। उनका कहना है कि इस कदम से चीनी निर्यात की संभावनाएं समाप्त हो गई हैं। हालांकि इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन को भरोसा है कि सरकार के इस कदम से चीनी की घरेलू बाजार में सुलभता सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी। 1सरकार ने कई महीनों में चीनी की वैश्विक कीमतों में आई तेजी को देखते हुए शुल्क का फैसला किया है। आगामी गन्ना वर्ष में गन्ने की खेती पर सूखे के असर को देखते हुए यह कदम उठाया गया है। इस्मा के महानिदेशक अविनाश वर्मा ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी मूल्य के बढ़ने की वजह से घरेलू निर्यात तेज होने की संभावना थी लेकिन 20 फीसद निर्यात शुल्क लगाए जाने से अब निर्यात संभव नहीं हो सकेगा। निर्यात शुल्क लगाने के बाद से घरेलू बाजार में मूल्य उचित स्तर पर बने रहेंगे। वर्मा ने कहा कि आगामी वर्ष में चीनी की कमी नहीं होने पायेगी। 70 लाख टन के कैरीओवर स्टॉक के साथ नया पेराई सीजन शुरू होगा जो घरेलू जरूरतों के हिसाब से पर्याप्त होगा। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीनी निर्यात में ब्राजील के बाद भारत का स्थान है। वर्ष 2015-16 में चीनी का उत्पादन निर्धारित लक्ष्य 283 लाख टन के मुकाबले केवल 250 लाख टन रहा। जबकि अगले वर्ष चीनी की कुल मांग 260 लाख टन होने का अनुमान है। आगामी 2016-17 में चीनी का उत्पादन 230 से 240 लाख टन तक ही रहने का सरकारी अनुमान है।जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली : चीनी निर्यात पर 20 फीसद शुल्क लगने से मिलों की चिंताएं बढ़ गई हैं। उनका कहना है कि इस कदम से चीनी निर्यात की संभावनाएं समाप्त हो गई हैं। हालांकि इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन को भरोसा है कि सरकार के इस कदम से चीनी की घरेलू बाजार में सुलभता सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी। 1सरकार ने कई महीनों में चीनी की वैश्विक कीमतों में आई तेजी को देखते हुए शुल्क का फैसला किया है। आगामी गन्ना वर्ष में गन्ने की खेती पर सूखे के असर को देखते हुए यह कदम उठाया गया है। इस्मा के महानिदेशक अविनाश वर्मा ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी मूल्य के बढ़ने की वजह से घरेलू निर्यात तेज होने की संभावना थी लेकिन 20 फीसद निर्यात शुल्क लगाए जाने से अब निर्यात संभव नहीं हो सकेगा। निर्यात शुल्क लगाने के बाद से घरेलू बाजार में मूल्य उचित स्तर पर बने रहेंगे। वर्मा ने कहा कि आगामी वर्ष में चीनी की कमी नहीं होने पायेगी। 70 लाख टन के कैरीओवर स्टॉक के साथ नया पेराई सीजन शुरू होगा जो घरेलू जरूरतों के हिसाब से पर्याप्त होगा। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीनी निर्यात में ब्राजील के बाद भारत का स्थान है। वर्ष 2015-16 में चीनी का उत्पादन निर्धारित लक्ष्य 283 लाख टन के मुकाबले केवल 250 लाख टन रहा। जबकि अगले वर्ष चीनी की कुल मांग 260 लाख टन होने का अनुमान है। आगामी 2016-17 में चीनी का उत्पादन 230 से 240 लाख टन तक ही रहने का सरकारी अनुमान है।