प्रोफेसर नरेंद्र ने बताया कि खोई में सेल्यूलोज होता है। इसे इथेनॉल के रूप में परिवर्तित किया जाना है। इसे सेल्युलोसिक इथेनॉल के रूप में भी जाना जाता है। बताया कि दोनों संस्थान गेहूं और चावल की भूसी, कपास के डंठल के उपयोग पर भी अध्ययन करेंगे।