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News
चीनी, तेल और दाल पर सरकार की आंख
Date:
28 May 2016
Source:
Business Standard Hindi
Reporter:
Sanjeeb Mukherjee
News ID:
5626
Pdf:
Nlink:
केंद्र सरकार ने चीनी पर आयात शुल्क घटाने का विकल्प बंद नहीं किया है। सरकार जब कीमतों पर अंकुश की जरूरत महसूस करेगी तो वह चीनी पर आयात शुल्क में कमी करेगी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने आज यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यह फैसला हाल में सचिवों की एक समिति की उच्च स्तरीय बैठक में लिया गया। इस बैठक की अध्यक्षता खुद केंद्रीय कैबिनेट सचिव ने की थी, जिसमें जरूरत पडऩे पर शुल्क घटाने के विकल्प का इस्तेमाल करने का फैसला किया गया। इस समय सरकार ने कच्ची चीनी के आयात पर करीब 40 फीसदी शुल्क लगाया हुआ है, जिसे अप्रैल 2015 में 25 फीसदी से बढ़ाकर 40 फीसदी किया गया था।
सूखे से उत्पादन में गिरावट के अनुमानों के कारण इस साल अप्रैल से घरेलू खुदरा बाजार में चीनी के दाम 4 से 7 रुपये प्रति किलोग्राम बढ़ चुके हैं। महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्यों में सूखे की वजह से चीनी सत्र (अक्टूबर से सितंबर) 2015-16 में उत्पादन करीब 252 लाख टन रहने का अनुमान है। यह पिछले साल के उत्पादन से करीब 30 लाख टन कम है। अगले साल भी उत्पादन कम रहने का अनुमान है क्योंकि पानी की किल्लत के कारण महाराष्ट्र में नई फसल की बुआई बुरी तरह प्रभावित हुई है। इस उद्योग के उद्यमियों ने कहा कि फसल ïवर्ष 2016-17 में देश में चीनी का उत्पादन महज 240 लाख टन के आसपास रह सकता है। अधिकारी ने कहा, 'ऐसी परिस्थितियों में केंद्र चीनी की कीमतों पर नियंत्रण के लिए सभी विकल्प खुले रखना चाहता है।' उन्होंने कहा कि न केवल चीनी की बढ़ती कीमतें बल्कि खाद्य तेल और दालों की कीमतों को लेकर भी सरकार चिंतित है। सरकार विशेष रूप से जुलाई से दिसंबर की अवधि में कीमतों में बढ़ोतरी को लेकर फिक्रमंद है। इस अवधि में ज्यादातर त्योहार आते हैं।
अधिकारी ने कहा, 'प्रधानमंत्री कार्यालय आवश्यक जिंसों की कीमतों पर लगातार नजर बनाए हुए है और उन्हें नियंत्रित रखने के लिए आवश्यक उपायों की समीक्षा कर सकता है।'
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) विशेष रूप से राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली जैसे उन क्षेत्रों में आवश्यक जिंसों की कीमतों में बढ़ोतरी को लेकर चिंतित है, जहां आमतौर पर इन जिंसों की किल्लत पैदा होती है। आवश्यक जिंसों की कीमतों पर नजर रखने और उत्पादन एवं आपूर्ति की स्थिति की समीक्षा के लिए एक निजी स्वतंत्र एजेंसी की सेवाएं लेने का भी फैसला किया गया है। राज्यों को जमाखोरों और कालाबाजारी करने वालों पर तुंरत कार्रवाई करने को कहा गया है। अगर जरूरत पड़ी तो उनके खिलाफ राज्य और केंद्र की एजेंसियां संयुक्त कार्रवाई भी कर सकती हैं।
इसी से संबंधित एक घटनाक्रम के तहत महाराष्ट्र ने कीमतों में किसी संभावित बढ़ोतरी को रोकने के लिए चीनी पर स्टॉक सीमा लगा दी है। गुरुवार को जारी आदेश के मुताबिक कारोबारी किसी भी समय 500 टन से अधिक चीनी का स्टॉक नहीं कर सकेंगे। गौरतलब है कि महाराष्ट्र देश का सबसे बड़ा चीनी उत्पादक राज्य है। जमाखोरी पर लगाम लगाने के लिए पिछले महीने केंद्र ने राज्यों को चीनी पर भंडारण सीमा लगाने का अधिकार दिया था। केंद्र ने कोलकाता के कारोबारियों के लिए भंडारण की सीमा 1,000 टन और देेश के अन्य हिस्सों के कारोबारियों के लिए 500 टन तय की थी।
केंद्र ने 9.2 फीसदी रिकवरी दर के आधार पर सीजन 2016-17 के लिए गन्ने का उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) 230 रुपये प्रति क्विंटल तय करने की अधिसूचना जारी की है। मंत्रिमंडल ने यह फैसला अप्रैल के पहले सप्ताह में लिया गया था, लेकिन चुनाव आचार संहिता की वजह से औपचारिक घोषणा को रोक लिया गया था। गौरतलब है कि भारत विश्व में ब्र्राजील के बाद दूसरा सबसे बड़ा चीनी का उत्पादक है, जबकि खपत के मामले में भारत पहले पायदान पर है। बीते कुछ वर्षों में भारत चीनी का शुद्ध निर्यातक रहा है, लेकिन पिछले दो ïवर्षों में लगातार सूखे से प्रमुख चीनी उत्पादक उत्पादक क्षेत्रों में उत्पादन घटा है और भारत आगे शुद्ध आयातक बन सकता है।
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