सरकार चीनी की बढ़ती घरेलू कीमतों को नियंत्रित करने के आखिरी हथियार के रूप में कच्ची चीनी पर 40 फीसदी आयात शुल्क में कटौती या इसे पूरी तरह खत्म करने से पहले इंतजार कर सकती है। गौरतलब है कि भारत के जल्द ही चीनी के शुद्ध निर्यातक से आयातक बनने के आसार हैं। देश में चीनी की बढ़ती कीमतों का मतलब है कि मिलें निर्यात बाजारों को निर्यात करना बंद कर देंगी। भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा चीनी का उत्पादक है, लेकिन सूखे की वजह से महाराष्ट्र जैसे प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में उत्पादन घटा है। पिछले दो साल सूखा रहने से 30 सितंबर को खत्म हो रहे वर्तमान वर्ष में उत्पादन घटेगा।
केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों से चीनी पर भंडारण सीमा लगाने को कहा है, ताकि कारोबारी जमाखोरी ना करें। कारोबारियों का कहना है कि सरकार कच्ची चीनी पर आयात शुल्क को कम या खत्म कर सकती है। हालांकि सरकार के तुरंत यह कदम उठाने की संभावना नहीं है। महाराष्ट्र में चीनी मिल का संचालन करने वाली बारामती एग्रो के मुख्य कार्याधिकारी रोहित पवार ने कहा, 'मुझे नहीं लगता कि सरकार फिलहाल आयात शुल्क खत्म करेगी।' उन्होंने कहा, 'यह सही है कि पिछले कुछ महीनों में चीनी की कीमतें बढ़ी हैं, लेकिन अब वे उत्पादन लागत से थोड़ी ही ऊपर हैं। पिछले कुछ वर्षों में मिलों ने भारी घाटा उठाया है क्योंकि उन्हें उत्पादन लागत से कम दाम पर चीनी बेचनी पड़ रही थी।'