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चीनी मिलों के आए सुनहरे दिन
Date: 20 May 2016
Source: Business Standard Hindi
Reporter: Dilip Kumar Jha
News ID: 5573
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इस सीजन में चीनी के कम उत्पादन के अनुमानों के बाद इसकी कीमतों में आई तेजी से मार्च तिमाही में चीनी मिलों की वित्तीय स्थिति सुधरी है। जून तिमाही और बेहतर रहने का अनुमान है। ज्यादातर कंपनियों ने शुद्ध लाभ में अहम बढ़ोतरी की घोषणा की है। उदाहरण के लिए मार्च तिमाही में अपर गैंजेज शुगर का शुद्ध लाभ करीब 60 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल की इसी तिमाही में महज 80 लाख रुपये था। वहीं पैरी शुगर मिल्स का शुद्ध मुनाफा करीब 20 करोड़ रुपये रहा, जो मार्च 2015 तिमाही में 5.3 करोड़ रुपये था। मवाना शुगर्स का शुद्ध लाभ 64.9 करोड़ रुपये रहा, जबकि पिछले साल की इसी तिमाही में कंपनी को 68.4 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। त्रिवेणी इंजीनियरिंग्स का शुद्ध लाभ 44.1 करोड़ रुपये रहा, जबकि उसे मार्च 2015 तिमाही में 85.6 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था।  
 
भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) के महानिदेशक अविनाश वर्मा ने कहा, 'जून तिमाही में मुनाफा अधिक रहने की संभावना है। हमारा मानना है कि जून तिमाही में चीनी की औसत एक्स-फैक्टरी कीमत 33 से 33.5 रुपये प्रति किलोग्राम पर रहेगी, जो इस साल मार्च तिमाही में 31 से 31.5 रुपये प्रति किलोग्राम रही है। कीमत में इतनी बढ़ोतरी से मिलों के मार्जिन में इसी अनुपात में बढ़ोतरी होगी।'  पिछले साल अगस्त में चीनी के दाम 19 रुपये प्रति किलोग्राम तक गिर गए थे, लेकिन इस साल मार्च के अंत में एक्स-फैक्टरी कीमत 33 से 34 रुपये प्रति किलोग्राम थी। मार्च तिमाही में चीनी की कीमतें औसतन 15 फीसदी बढ़ी हैं। मार्च तिमाही के अंत के बाद कीमतें न केवल स्थिर हुई हैं बल्कि इस महीने तक 1 फीसदी और बढ़ी हैं। 
 

डीसीएम श्रीराम के चेयरमैन अजय श्रीराम ने कहा, 'ज्यादा चीनी रिकवरी से उत्पादन की कम लागत और कीमतों में बढ़ोतरी से वित्त वर्ष 2016 की दूसरी छमाही में उद्योग का मुनाफा सुधरा है। गन्ने की कीमत, एथेनॉल और निर्यात को लेकर केंद्र और राज्य सरकारों ने अधिक तर्कसंगत नीति बनाई है। उद्योग की सेहत सुधारने के लिए यही नीतियां आगे भी जारी रहनी चाहिए।' पेट्रोल के साथ मिलाने के लिए एथेनॉल खरीद की सरकारी नीति से भी मिलों को फायदा मिला है। सरकार ने तेल विपणन कंपनियों द्वारा चुकाई जाने वाली एथेनॉल की कीमत बढ़ाकर 48.50 से 49.50 रुपये प्रति लीटर कर दी है। जेएम फाइनैंशियल के एक विश्लेषक अचल लोहाडे ने कहा, 'घरेलू चीनी उत्पादन में लगातार गिरावट और वैश्विक बाजारों में भी आपूर्ति घटने से 31 मार्च को समाप्त पखवाड़े में चीनी की घरेलू एक्स-मिल कीमतें तीन साल के सर्वोच्च स्तर 34 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गईं। इसके नतीजतन वैश्विक कीमतें मार्च में (0.16 डॉलर प्रति पाउंड) एक साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गईं।' वैश्विक कंपनी किंग्समैन ने भारत का चीनी उत्पादन 251 लाख टन रहने का अनुमान जताया है, जो पिछले साल के उत्पादन 283 लाख टन से करीब 11 फीसदी कम है। इक्रा की एक रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि इस चीनी वर्ष के अंत में भारत में 76 लाख चीनी का स्टॉक बचेगा, जो पिछले साल 95 लाख टन था।              

 
  

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