डीसीएम श्रीराम के चेयरमैन अजय श्रीराम ने कहा, 'ज्यादा चीनी रिकवरी से उत्पादन की कम लागत और कीमतों में बढ़ोतरी से वित्त वर्ष 2016 की दूसरी छमाही में उद्योग का मुनाफा सुधरा है। गन्ने की कीमत, एथेनॉल और निर्यात को लेकर केंद्र और राज्य सरकारों ने अधिक तर्कसंगत नीति बनाई है। उद्योग की सेहत सुधारने के लिए यही नीतियां आगे भी जारी रहनी चाहिए।' पेट्रोल के साथ मिलाने के लिए एथेनॉल खरीद की सरकारी नीति से भी मिलों को फायदा मिला है। सरकार ने तेल विपणन कंपनियों द्वारा चुकाई जाने वाली एथेनॉल की कीमत बढ़ाकर 48.50 से 49.50 रुपये प्रति लीटर कर दी है। जेएम फाइनैंशियल के एक विश्लेषक अचल लोहाडे ने कहा, 'घरेलू चीनी उत्पादन में लगातार गिरावट और वैश्विक बाजारों में भी आपूर्ति घटने से 31 मार्च को समाप्त पखवाड़े में चीनी की घरेलू एक्स-मिल कीमतें तीन साल के सर्वोच्च स्तर 34 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गईं। इसके नतीजतन वैश्विक कीमतें मार्च में (0.16 डॉलर प्रति पाउंड) एक साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गईं।' वैश्विक कंपनी किंग्समैन ने भारत का चीनी उत्पादन 251 लाख टन रहने का अनुमान जताया है, जो पिछले साल के उत्पादन 283 लाख टन से करीब 11 फीसदी कम है। इक्रा की एक रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि इस चीनी वर्ष के अंत में भारत में 76 लाख चीनी का स्टॉक बचेगा, जो पिछले साल 95 लाख टन था।