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उत्पादन कम, फिर भी चीनी भरपूर
Date: 03 May 2016
Source: Business Standard Hindi
Reporter: Rajesh Bhayani
News ID: 5501
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चालू चीनी सीजन में उत्पादन घटने के बावजूद सीजन के अंत में 70 लाख टन चीनी का स्टॉक बचने का अनुमान है। भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) ने अनुमान जताया कि देश के बहुत से गन्ना उत्पादक राज्यों में सूखे के कारण चालू चीनी सीजन (अक्टूबर 2015 से सितंबर 2016) में चीनी उत्पादन 10 फीसदी से अधिक घटकर 250 लाख टन के आसपास रह सकता है। लेकिन फिर भी सीजन के अंत में 70 लाख टन चीनी का स्टॉक बचेगा। 
 
इस्मा का यह अनुमान बाजार की चिंताओं को कम कर सकता है। पिछले सप्ताह कुछ प्रमुख विशेषज्ञों ने इस बात को लेकर चिंताएं जताई थीं कि इस साल सूखे से महाराष्ट्र के गन्ना उत्पादक क्षेत्रों में पानी का स्तर तेजी से घटा है, जिससे वर्ष 2016-17 में गन्ने की फसल बुरी तरह प्रभावित होगी। ऐसी परिस्थितियों में भारत चीनी का शुद्ध  आयातक बन सकता है।  देश में हर साल 250 से 260 लाख टन चीनी की खपत होती है। इस साल निर्यात करीब 15 लाख टन रहने का अनुमान है। इस्मा ने कहा, '30 अप्रैल 2016 को चालू चीनी मिलों की संख्या और इन राज्यों में गन्ने की उपलब्धता को देखते हुए सितंबर 2016 में समाप्त होने जा रहे वर्तमान सीजन में चीनी उत्पादन 250 लाख टन से मामूली अधिक रहने के आसार हैं। हालांकि पिछले साल के बचे 90.8 लाख टन चीनी के स्टॉक और घरेलू खपत 256 लाख टन एवं निर्यात 15 लाख टन के अनुमान से चालू सीजन के अंत में चीनी मिलों के पास 70 लाख टन का स्टॉक बचेगा।' 
 
चीनी की बढ़ती कीमतों को लेकर चिंताएं जताई जा रही हैं। केंद्र ने राज्य सरकारों ने कहा है कि चालू सीजन के मध्य में ही कीमतें बढऩे लगी हैं, इसलिए वे स्टॉक सीमा लगाएं। उद्योग के एक अधिकारी ने कहा कि दालों पर भंडारण सीमा लगाए जाने के बाद एक बहुत बड़ा आयातक दूसरी जिंसों का आयात करने लगा है। माना जा रहा है कि एक कारोबारी के पास चीनी का भारी स्टॉक है। यह भी कहा जा रहा है कि एक बड़े दाल आयातक पर आयकर विभाग की नजर है। इस्मा यह कह रहा है कि चीनी की कीमतें लागत से थोड़ी ऊपर आई हैं, इसलिए इन्हें अधिक नहीं समझा जाना चाहिए। बाजार में अतिरिक्त चीनी स्टॉक को लेकर अलग-अलग राय हैं, जिससे जमाखोरी की चिंताएं बढ़ रही हैं। 
 
अनिवार्य चीनी निर्यात का आदेश होगा वापस 
 
सरकार जल्द ही उस आदेश को रद्द करेगी, जिसमें चीनी मिलों के लिए अतिरिक्त आपूर्ति का निर्यात करना जरूरी है। दो सरकारी अधिकारियों ने आज यह जानकारी दी। इसकी वजह यह बताई जा रही है पिछले लगातार दो साल सूखे से अक्टूबर तक भारत चीनी का शुद्ध आयातक बन सकता है। पिछले साल सरकार ने मिलों से कहा था कि वे करीब 32 लाख टन चीनी का निर्यात करें, ताकि देश में चीनी की अति आपूर्ति कम हो। अति आपूर्ति की वजह से कीमतों में भारी गिरावट आई थी और मिलों की वित्तीय स्थिति पर दबाव बढ़ गया था। इस योजना को लोकप्रिय बनाने और मिलों पर दबाव कम करने के लिए केंद्र सरकार ने किसानों को 45 रुपये प्रति टन के हिसाब से भुगतान पर सहमति जताई थी। इससे चीनी मिलों की 2 फीसदी लागत कम हुई थी। अधिकारी ने बताया कि जब अनिवार्य निर्यात का आदेश वापस लिया जाएगा तो किसानों को सीधा भुगतान भी बंद हो जाएगा। हालांकि उन्होंने अपना नाम प्रकाशित न करने का आग्रह किया क्योंकि इसकी अभी औपचारिक घोषणा नहीं हुई है। अधिकारी ने कहा, 'हम जल्द ही आदेश वापस लेंगे क्योंकि अब हमें निर्यात करने की जरूरत नहीं है।' 
 
  

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