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चीनी मिलों और गन्ने के खेत से आया सूखे का प्रेत
Date: 28 Apr 2016
Source: Business Standard Hindi
Reporter: रॉयटर्स
News ID: 5471
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देश के सबसे संपन्न राज्य महाराष्ट्र के एक बेरोजगार मजदूर हरिभाऊ कांबले पानी लेने के लिए चिलचिलाती धूप में घंटों कतार में लगने के लिए मजबूर हैं। हालांकि लगातार कुछ सालों से सूखे से प्रभावित क्षेत्र लातूर में सरकार ने ट्रेन से पानी भेजने का इंतजाम किया है, लेकिन उसके बावजूद ऐसे हालात हैं। चार दशकों में सबसे भयंकर सूखे की मार सह रहे राज्य में कांबले की तरह ही लाखों लोग परेशान हैं क्योंकि उनकी फसलें बरबाद हो गई हैं, चारा भी खत्म हो चुका है और जलाशय खाली पड़े हैं जबकि पनविद्युत ऊर्जा के उत्पादन की रफ्तार बेहद धीमी पड़ चुकी है। विशेषज्ञों का कहना है कि जल संसाधनों के कुप्रबंधन और ताकतवर नेताओं द्वारा उद्योगों को ज्यादा पानी की आपूर्ति करने के लिए सिफारिशें करने की वजह से हालात इतने बदतर हुए हैं। 

स्थानीय लोगों को उम्मीद है कि रोजाना ट्रेन से 50 वैगन पानी आने से पानी की कमी से थोड़ी राहत मिलेगी लेकिन ट्रेन से आने वाला 25 लाख लीटर पानी जो टैंकरों से गांव तक पहुंचता है वह लातूर के 5 लाख लोगों और मराठवाड़ा के 1.9 करोड़ लोगों के लिए पर्याप्त नहीं है। महाराष्ट्र की ज्यादातर चीनी मिलें मराठवाड़ा में हैं और यह राज्य देश का शीर्ष उत्पादनकर्ता है। लेकिन मराठवाड़ा में 2015 में जून-सितंबर में औसत से कम बारिश हुई। अनुमान है कि देश की आबादी की एक-चौथाई जनता यानी करीब 33 करोड़ लोग फिलहाल सूखे से प्रभावित हैं। अगले दो महीने में जल संकट और गहराएगा जब तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर बढ़ेगा जिससे मुमकिन है मराठवाड़ा के सभी जलाशय सूख जाएं जो अब महज 3 फीसदी ही भरे हुए हैं। साउथ एशिया नेटवर्क ऑन डैम्स, रिवर्स ऐंड पीपुल की सहयोगी समन्वयक परिणीता दांडेकर कहती हैं, 'मॉनसून की स्थिति खराब होने के साथ ही यह बात तय थी कि महाराष्ट्र को जल संकट का सामना करना पड़ेगा। हालांकि सरकार ने बियर और चीनी जैसे उद्योगों की जल आपूर्ति पर लगाम लगाने की कोशिश नहीं की जो सबसे ज्यादा पानी का इस्तेमाल करते हैं।' 

 
चीनी सोखता पानी 
चीनी के उत्पादन में तेजी से विस्तार ने भी हालात को ज्यादा गंभीर बनाया है। महाराष्ट्र के कुल फसल क्षेत्र में गन्ने की हिस्सेदारी 4 फीसदी तक है लेकिन इसमें सिंचाई जल के दो-तिहाई हिस्से की खपत होती है। चीनी मिलों और दूसरे उद्योगों में नेताओं की हिस्सेदारी है। ऐसे में यह चिंता भी बढ़ रही है कि वे अपने कारोबार के लिए पानी की आपूर्ति सुनिश्चित कराने में कसर नहीं छोड़ेंगे। भारतीय जनता पार्टी की ओर से एक राज्य मंत्री पंकजा मुंडे का कहना है कि शराब उद्योग के लिए आवंटित पानी जरूर मिलना चाहिए। उनके पति मराठवाड़ा के औरंगाबाद में एक शराब बनाने की फैक्टरी के निदेशक हैं। मुंडे ने इस खबर के लिए भेजे गए संदेश पर कोई जवाब नहीं दिया। 
 
बंबई उच्च न्यायालय के औरंगाबाद पीठ ने मंगलवार को महाराष्ट्र से तुरंत शराब कंपनियों को की जाने वाली पानी की आपूर्ति आधी करने और 10 मई से अतिरिक्त 10 फीसदी की कटौती करने को कहा। महाराष्ट्र के कृषि मंत्री एकनाथ खडसे का कहना है कि राज्य गन्ने की खेती को रोकने और मराठवाड़ा में पांच सालों तक नई चीनी मिलों पर प्रतिबंध लाने की योजना बना रहा है ताकि पानी की बचत की जा सके। 
 
  

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