बेंगलुरु: सरकार ने साल 2030 में ऐसा करने का लक्ष्य तय किया था। बाद में इसे रिवाइज कर 2025 में करना तय किया गया। लेकिन केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय (Petroleum & Natural Gas Ministry) ने ऐसी तैयारी की कि ऐसा लक्ष्य से सात साल पहले हो गया। जी हां, आपने सही समझा। हम बात कर रहे हैं पेट्रोल में 20 फीसदी एथनॉल मिलाने (Ethanol Blending) की। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के चुनिंदा पेट्रोल पंप पर 20 प्रतिशत एथनॉल ब्लेंडिंग वाले पेट्रोल की खुदरा बिक्री शुरू की। इससे तिहरा फायदा होगा। पहला तो गन्ना किसानों की आमदनी बढ़ेगी। दूसरा विदेशों से कच्चे तेल के आयात में विदेशी मुद्रा खर्च नहीं करना होगा। और तीसरा कार्बन इमिशन यानी प्रदूषण में कमी होगी।
ऐसा नहीं है कि पेट्रोल में अभी एथानॉल नहीं मिलाया जाता। अभी भी पेट्रोल पंपों पर बिक रहे पेट्रोल में एथनॉल की ब्लेंडिंग की जाती है। लेकिन इसकी मात्रा 10 फीसदी ही है। सरकार का इरादा 2025 तक इस मात्रा को दोगुना करने का था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को यहां इंडिया एनर्जी वीक-2023 में 20 फीसदी एथनॉल मिला पेट्रोल की बिक्री शुरू कर दी। इस अवसर पर मोदी ने कहा, ‘‘हमने पेट्रोल में एथनॉल मिश्रण को 2014 के डेढ़ प्रतिशत से बढ़ाकर 10 प्रतिशत कर दिया है। अब हम 20 प्रतिशत के लक्ष्य की ओर बढ़ रहे हैं।’’
पहले चरण में देश के 15 शहरों में 20 प्रतिशत एथनॉल ब्लेंडिंग वाला पेट्रोल उतारा जाएगा। ये 15 शहर 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में हैं। फिलहाल ई-20 (20 प्रतिशत एथनॉल वाला पेट्रोल) 11 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में तीन सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के पेट्रोल पंप पर उपलब्ध है। इसके साथ ही अगले दो साल के दौरान इसे पूरे देश में पेश करने की तैयारी है। इससे एथनॉल बनाने वाली चीनी मिलों जैसे बजाज हिंदुस्तान शुगर लिमिटेड (BAJAJHIND) और अन्य कंपनियों को भारी फायदा होने की संभावना है।
इस अवसर पर पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि भारत ने जून, 2022 के दौरान पांच महीने पहले ही पेट्रोल में 10 प्रतिशत एथनॉल मिलाने का लक्ष्य हासिल कर लिया था। उन्होंने कहा, ‘‘इसके अलावा हमने ई-20 पेट्रोल उपलब्ध कराने की समय सीमा को पहले (वर्ष 2025) कर दिया है। पहले यह समय सीमा 2030 थी।’’ उन्होंने बताया कि अब ई20 को पायलट आधार पर भी समय से पहले पेश कर दिया गया है।
यह भी एक कड़वी सच्चाई है कि हम अपनी जरूरत का करीब 85 फीसदी कच्चा तेल (Crude Oil) दूसरे देशों से लाते हैं। इसके आयात में देश का कीमती विदेशी मुद्रा खर्च होता है। इसलिए सरकार ने पेट्रोल में एथनॉल ब्लेंडिंग करने की महत्वाकांक्षी योजना बनाई है। इस लक्ष्य को पिछले साल जून में ही पा लिया गया। अब तैयारी 20 फीसदी ब्लेंडिंग की है। इस पर भी आज से काम शुरू हो गया।
एनर्जी सेक्टर में आत्मनिर्भर बनने के लिए सरकार एथनॉल ब्लेंडिंग प्रोग्राम को प्राथमिकता से लागू कर रही है। सरकार के प्रयास का ही फल है कि साल 2013-14 से देश में एथनॉल का प्रोडक्शन छह गुना बढ़ गया है। इससे देश को न केवल 54,000 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा की बचत हुई है बल्कि कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन में भी 318 लाख मीट्रिक टन की कमी आई है।
एथनॉल बनाने के दो तरीके देश में चल रहे हैं। एक तो यह गन्ना से बनता है। दूसरा अनाजों से। दोनों के उत्पादक किसान है। जब एथनॉल का उत्पादन बढ़ेगा तो किसानों की आमदनी बढ़नी तय है। साल 2014 से 2022 तक किसानों को इस मद में 49,000 करोड़ रुपये का ट्रांसफर किए गए हैं। जब एथनॉल की डिमांड बढ़ेगी तो इसके नए प्लांट भी बनेंगे।