Sugar Exports: केंद्र सरकार अक्टूबर से शुरू होने वाले नए मार्केटिंग ईयर में पहली खेप में 50 लाख टन चीनी निर्यात की अनुमति दे सकती है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है. एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया, “आने वाले हफ्तों में 50 लाख टन चीनी निर्यात करने की अनुमति दिए जाने की उम्मीद है. अगले शुगर ईयर के उत्पादन के बारे में बेहतर समझ होने के बाद हम 30 से 50 लाख टन चीनी निर्यात की और अनुमति दे सकते हैं.” अधिकारी ने कहा कि हालांकि अगले साल के उत्पादन के बारे में स्पष्ट जानकारी मिलना अभी मुश्किल है, लेकिन शुरुआती अनुमान बताते हैं कि 2022-23 में चीनी उत्पादन इस साल के रिकॉर्ड 360 लाख टन के आसपास रहेगा.
1 अक्टूबर, 2022 को, जब नया सीजन शुरू होगा, पिछले सीजन से मिलों का कैरीओवर स्टॉक एक साल पहले के 80 लाख टन के मुकाबले 60 लाख टन होने की उम्मीद है. एक अन्य सूत्र ने बताया, “लोकल डिमांड, इथेनॉल प्रोडक्शन की जरूरत और उनके वार्षिक कैरीओवर स्टॉक के लिए मिलों की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए हमें लगता है भारत के पास 2022-23 वर्ष में एक बड़ा निर्यात योग्य सरप्लस होगा.” उन्होंने आगे कहा, “लेकिन फसलों और कृषि उत्पादन को प्रभावित करने वाले अनिश्चित मौसम के कारण हम एक बार में 80 या 90 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति नहीं देना चाहते, हम इसे लेकर सतर्क रहेंगे.”
बता दें कि भारत ने इस साल की शुरुआत में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है. वहीं, पिछले हफ्ते चावल के शिपमेंट पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है. ऐसा प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियों की वजह से उत्पादन और रोपण के प्रभावित होने के चलते किया गया है. भारत की घरेलू चीनी खपत लगभग 2.75 करोड़ टन होने का अनुमान है और मिलों द्वारा 2022-23 सीज़न में इथेनॉल प्रोडक्शन के लिए 45 लाख टन चीनी का इस्तेमाल किए जाने की उम्मीद है. मिलें अपने वार्षिक कैरीओवर स्टॉक के रूप में कम से कम 60 लाख टन चीनी को अलग रखेगी.