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News
चीनी में इजाफा, घटा बकाया
Date:
19 Apr 2016
Source:
The Business Standard
Reporter:
Bureau
News ID:
5430
Pdf:
Nlink:
चीनी मिलों पर गन्ने का बकाया 40 फीसदी कम हुआ है। इसमें चीनी की कीमतों में तेजी से बढ़ोतरी से मिलों की गन्ने के भुगतान की क्षमता मजबूत होने और इन चीनी फैक्टरियों की वित्तीय हालत सुधारने में सरकार की मदद का अहम योगदान रहा है। इस क्षेत्र की शीर्ष संस्था भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) के आंकड़ों से पता चलता है कि 12 अप्रैल 2016 को चीनी मिलों पर गन्ने की कुल बकाया राशि 13,300 करोड़ रुपये थी, जो पिछले साल के इसी समय 21,800 करोड़ रुपये थी। यह चीनी मिलों की आमदनी में तेजी से बढ़ोतरी की बदौलत संभव हो पाया है। अगस्त 2015 में चीनी मिलों की एक्स-मिल कीमत प्राप्ति 19 रुपये प्रति किलोग्राम थी, जो अब बढ़कर 32 से 33 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है। अक्टूबर 2015 से शुरू हुए इस चीनी सीजन में ज्यादातर समय चीनी के दाम ऊंचे ही रहे हैं।
इस्मा के महानिदेशक अविनाश वर्मा ने कहा, 'चालू सीजन में गन्ने का बकाया काफी कम है। घरेलू बाजार में चीनी की कीमतें सुधरने से किसानों को गन्ना भुगतान में तेजी आने और अगले कुछ महीनों में बकाये में और कमी आने के आसार हैं।' रोचक बात यह है कि भारत की ज्यादातर चीनी मिलों की वर्तमान एक्स-फैक्टरी कीमत प्राप्ति उनकी औसत उत्पादन लागत के बराबर है। आगे चीनी की कीमतें और बढऩे से चीनी मिलों को मुनाफा होने लगेगा और आगे चीनी की कीमतों में तेजी के प्रबल आसार हैं।
एक वैश्विक ब्रोकेरज कंपनी के विश्लेषक ने कहा, 'चीनी की कीमतों में सुधार के दो मुख्य कारण हैं। घरेलू बाजार में कीमतें कम उत्पादन के अनुमानों से बढ़ी हैं, वहीं वैश्विक उत्पादन में कमी अनुमानों से दुनियाभर के बाजारों में चीनी के दाम बढ़े हैं।' इस्मा का अनुमान है कि 15 अप्रैल 2016 तक देश में 243.4 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है, जो पिछले साल इस समय तक 264.7 लाख टन था। इस साल केवल 117 मिलें चालू हैं, जबकि पिछले साल 245 मिलें चीनी का उत्पादन कर रही थीं। इस तरह चीनी के उत्पादन में बढ़ोतरी के आसार नजर नहीं आ रहे हैं।
इसी वजह से खाद्य मंत्रालय ने इस साल 255 लाख टन चीनी उत्पादन का अनुमान जताया है, जबकि इस्मा ने 260 टन चीनी उत्पादन का अनुमान जताया था। पिछले साल देश में 283 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। इस बीच चीनी क्षेत्र के रुझान में सुधार के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने मिलों को गन्ने की पेराई पर 40 रुपये प्रति क्विंटल की उत्पादन सब्सिडी मुहैया कराई है। इसके अलावा सरकार ने एथेनॉल की ऊंची कीमतों को भी मंजूरी दी है। हालांकि वैश्विक बाजारों में चीनी बाजार में इस साल करीब 40 लाख टन की कमी रहने का अनुमान है।
वैश्विक बाजारों में पिछले कुछ सप्ताह के दौरान ही चीनी की कीमतों में 6 फीसदी उछाल आई है। इन सभी कारकों का चीनी कंपनियों के शेयरों की कीमतों पर सकारात्मक असर दिखा है। इस साल मार्च से चीनी कंपनियों के शेयर 50 से 150 फीसदी तक चढ़े हैं। इस्मा ने एक बयान में कहा कि चीनी मिलों ने घरेलू बाजार में 132 लाख टन चीनी की बिक्री की है, जो पिछले साल की इसी अवधि के दौरान बेची गई चीनी 127 लाख टन से 5 लाख टन अधिक है। इस साल सरकार ने 32 लाख टन चीनी के निर्यात को मंजूरी दी है, जिसमें से मिलें अब तक 13.5 लाख टन का निर्यात कर चुकी हैं।
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