चालू पेराई सीजन में चीनी के उत्पादन में 21 लाख टन से अधिक की कमी आने का असर जिंस बाजारों में दिखाई देने लगा है। चीनी की कीमतों में और सुधार की गुंजाइश से गन्ना किसानों के दिन बहुर सकते हैं। गन्ना बकाया 13 हजार करोड़ रुपये से अधिक है।
उत्तर प्रदेश को छोड़कर बाकी अन्य गन्ना उत्पादक राज्यों में चीनी उत्पादन में काफी गिरावट आई है। 15 अप्रैल तक राष्ट्रीय स्तर पर चीनी का कुल उत्पादन 2.43 करोड़ टन हो गया है। जबकि पिछले पेराई सीजन में चीनी उत्पादन 2.64 करोड़ टन हुआ था। 31 मार्च तक 13.5 लाख टन चीनी का निर्यात किया जा चुका है।
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के मुताबिक पिछले साल 15 अप्रैल तक 245 मिलों में पेराई चालू थी जबकि चालू सीजन में केवल 117 मिलें ही चल रही हैं। चीनी के सबसे बड़े उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में कुल 83.60 लाख टन चीनी का उत्पादन किया गया है जो पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले 16 लाख टन कम है। पिछले साल के 84 मिलों के मुकाबले केवल 24 मिलें इस सीजन में चल रही हैं। बाकी में पेराई बंद हो चुकी हैं।
चीनी उत्पादन में दूसरे सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में 68 लाख टन चीनी का उत्पादन किया गया है, जो पिछले साल के बराबर ही है। राज्य में इस सीजन में गन्ने की पेराई में चीनी की रिकवरी में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। कर्नाटक राज्य में 40 लाख टन चीनी तैयार हुई जो पिछले पेराई सीजन के मुकाबले पांच लाख टन कम है।
पिछले साल के अब तक 36 मिलों के मुकाबले इस बार केवल पांच मिलो में ही पेराई हो रही है। कमोबेश यही हाल दक्षिणी राज्यों की सभी चीनी मिलों का है।
पिछले साल अब तक 21,800 करोड़ रुपये गन्ने का बकाया चीनी मिलों पर था। लेकिन चालू सीजन में यह घटकर 13,300 करोड़ रह गया है। मिल संगठन को पूरी उम्मीद है कि चीनी मूल्य में सुधार की गति बनी रही तो गन्ना किसानों का भुगतान जल्दी हो जाएगी।
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