बिजनौर, जागरण टीम। जिले की नौ में से आठ चीनी मिलों ने इस बार बी-हैवी शीरा बनाना शुरू कर दिया है। पहले केवल पांच चीनी मिल ही बी हैवी शीरा बनाती थीं। बी-हैवी शीरे से एथनाल बनाकर पेट्रोल में मिलाया जाता है। बी-हैवी बनाने से गन्ने का प्रयोग ऊर्जा के एक स्त्रोत के रूप में होता है और इससे चीनी का उत्पादन भी कम होता है। पिछले तीन-चार साल से गन्ने का रकबा और और पैदावार दोनों में इजाफा हुआ है। इससे चीनी का उत्पादन भी बढ़ा है। चीनी की पैदावार धड़ाम होने से मिलों ने गन्ने से बनने वाले दूसरे उत्पादों जैसे रा-शुगर, बी-हैवी शीरा आदि बनाना शुरू किया था। शुरुआत में जिले की केवल पांच चीनी मिलों ने ही बी-हैवी बनाना शुरू किया था। बी-हैवी शीरे की मिलावट पेट्रोल में दस प्रतिशत तक हो सकती है। बी-हैवी शीरा बनाने से चीनी से ज्यादा आमदनी हो सकती है। इस साल जिले की नौ में से आठ चीनी मिलों ने बी-हैवी शीरा बनाना शुरू कर दिया है। बी-हैवी शीरे से एथनाल बनाया जाएगा तो इसकी मिलावट को बढ़ाया भी जा सकता है। बिजनौर, चांदपुर, नजीबाबाद चीनी मिल पहली बार बी-हैवी शीरा बना रही हैं। बिलाई चीनी मिल में भी इसी पेराई सत्र से बी-हैवी शीरा बनाने की तैयारी की जा रही है। बी-हैवी शीरे के एथनाल की गुणवत्ता है अच्छी गन्ने में मिठास सुक्रोज पदार्थ से आती है। मिलों में गन्ने से चीनी बनाने की प्रक्रिया के बाद शीरा बचता है। शीरे में सुक्रोज न के बराबर बचता है। बी-हैवी शीरा बनाते समय चीनी मिल 15 प्रतिशत सुक्रोज को शीरे में ही छोड़ती हैं। साधारण शीरे से भी एथनाल बनाया जा सकता है लेकिन बी-हैवी शीरे से अच्छी गुणवत्ता का एथनाल बनता है। इस सत्र में चीनी मिल अब तक करीब 50 लाख कुंतल बी-हैवी शीरा बना चुकी हैं। एक लीटर शीरे की कीमत 59.08 रुपये है। चीनी के उत्पादन पर पड़ा असर सभी मिलों द्वारा बी-हैवी बनाने से चीनी के उत्पादन पर भी असर पड़ा है। पहले साल 13 मार्च तक चीनी मिलों ने 87.60 लाख कुंतल चीनी बनाई थी जबकि इस साल करीब 80 लाख कुंतल चीनी ही बनी है। इससे चीनी के दाम भी थोड़े बढ़े हैं। पिछले साल मार्च में चीनी के दाम 3300 रुपये प्रति कुंतल थे जबकि इस बार दाम 3500 रुपये प्रति कुंतल हो गया है। इन्होंने कहा..मिल में बी-हैवी शीरा बनाया जा रहा है। इसे ग्रुप की डिस्टलरी में एथनाल बन रहा है। मिल को थोड़ा फायदा होगा तो इसका इस्तेमाल किसानों के भुगतान में ही किया जाएगा।