चीनी जहर नहीं, बल्कि सेहत के लिए जरूरी है। स्वस्थ रहने के लिए 25 से 30 ग्राम चीनी का सेवन जरूरी है। यह बात भारतीय रेलवे के पूर्व मुख्य निदेशक (मेडिकल) डॉ. रविशंकर ने कही। राष्ट्रीय शर्करा संस्थान में एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन व एक्सपो मीठा-2022 में उन्होंने कहा कि डायबिटीज से बचने के लिए पोषक भोजन के अलावा व्यायाम जरूरी है। डायबिटीज को शुगर कहना बंद करना होगा। उन्होंने कहा कि 1995 में जामा व कार्डिफ विवि के शोध के मुताबिक चीनी की लत व बच्चों के हाइपर एक्टिव होना चीनी से संबंधित नहीं है। इससे पहले कार्यक्रम का शुभारंभ खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण भारत सरकार के सचिव सुधांशु पाण्डेय, संयुक्त सचिव (शर्करा) सुबोध कुमार सिंह व संस्थान के निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन ने किया। सुधांशु पाण्डेय ने कहा कि डायबिटीज, मोटापा जैसी समस्याओं का चीनी एकमात्र कारण नहीं है। इसके लिए संतुलित भोजन व शारीरिक श्रम जरूरी है। सुबोध कुमार सिंह ने कहा कि देश में चीनी की प्रति व्यक्ति वार्षिक खपत 19 किग्रा है और विश्व में औसत खपत 22.5 किग्रा है। ब्राजील में 56 किग्रा प्रति व्यक्ति खपत है। इसलिए डायबिटीज का मुख्य कारण चीनी नहीं है। प्रो. नरेंद्र मोहन ने कहा कि कई देश ऐसे हैं, जहां चीनी की खपत अधिक है इसके बावजूद वहां डायबिटीज व मोटापा की दिक्कत नहीं है। अब फोर्टिफाइड चीनी व गुड़ का प्रयोग बढ़ाना चाहिए।
डॉ. सीमा जायसवाल ने कहा कि चीनी से तुरंत ऊर्जा मिलती है। डायबिटीज व हाइपरटेंशन सेंटर गुरुग्राम के निदेशक डॉ. नरेंद्र गुप्ता ने कहा कि चीनी खाने से बीमारी नहीं होती, बल्कि संतुलित आहार व कसरत न करने के चलन से बढ़ रही है। इंडियन शुगल मिल्स एसोसिएशन की लीगल निदेशक भारती बालाजी ने कहा कि डायबिटीज का मुख्य कारण चीनी नहीं बल्कि तेजी से बढ़ता शहरीकरण, गतिहीन जीवनशैली, अस्वास्थ्यकर भोजन, तंबाकू सेवन आदि है। इस मौके पर अनीता अग्रवाल, अशोक कुमार गर्ग, महेंद्र यादव, अनुष्का अग्रवाल, डॉ. मीतकमल, डॉ. अर्चना दीक्षित आदि मौजूद रहे। इनका रहा आकर्षक
एक्सपो में कई स्टॉल लगे थे, जिसमें चीनी व गुड़ से तैयार विभिन्न उत्पाद को दिखाया गया। शुगर के रिफाइंड, डेमरारा, लो जीआई, ब्राउन, ब्रेकफास्ट, क्यूब, कैंडी, लिक्विड, आइसिंग शुगर आदि को दिखाया गया। गुड़ से तैयार कुकीज, केक आदि का प्रदर्शन हुआ। सबसे अधिक चर्चा में माउथ फ्रेशनर गुड़ रहा, जिसे लोगों ने खूब पसंद किया।