सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली1गन्ने की मिठास ने उत्तर प्रदेश में जाटों का उग्र आंदोलन होने से रोक लिया। चालू पेराई सीजन में गन्ने का संतोषजनक भुगतान से उनका आक्रोश ¨हसा में तब्दील नहीं हुआ। इसीलिए हरियाणा में ¨हसक आंदोलन के बावजूद उनके समर्थन में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाटों ने जहां तहां केवल प्रतीकात्मक प्रदर्शन किया। हरियाणा के जाटों से रोटी-बेटी का सीधा रिश्ता रखने वाले पश्चिम उत्तर प्रदेश में समर्थन तो दिया, लेकिन शांतिपूर्ण तरीके से प्रतीकात्मक आंदोलन चलाया।1उत्तर प्रदेश में जाटों को आरक्षण तो है, पर केंद्रीय नौकरियों में भागीदारी न मिलने से नाराजगी कम भी नहीं है। लेकिन, अदालत के आदेश के बावजूद उत्तर प्रदेश सरकार की यथास्थिति कायम रखने का सकारात्मक प्रभाव भी पड़ा है। हरियाणा में ¨हसक आंदोलन के बावजूद पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट तात्कालिक रूप से उग्र नहीं हुए। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति के जानकारों के मुताबिक इसकी मूल वजह संतोषजनक गन्ना भुगतान है। अगर गन्ना भुगतान पिछले साल की तरह का रहता तो किसानों की नाराजगी उग्र हो सकती थी। पिछले सप्ताह तक के भुगतान आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में चालू पेराई सीजन का कुल 3300 करोड़ रुपये की बकायेदारी रह गई है। जबकि पिछले साल गन्ना एरियर 12 हजार करोड़ रुपये से भी अधिक था। भुगतान न होने से गन्ना किसान आपे से बाहर हो रहे थे। लेकिन, चालू सीजन में जाट बहुल पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों के पास उग्र होने के लिए कोई वजह नहीं थी। उत्तर प्रदेश के किसानों का पिछले साल का कुल बकाया पांच सौ करोड़ रह गया है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीतिक पर नजर रखने वाले लखनऊ यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर सुधीर पंवार का कहना है कि जाट आरक्षण के मामले में राज्य सरकार की सकारात्मक नीति, गन्ना भुगतान की कारगर पहल और केंद्र की ओर से दिए गए आश्वासन को देखते हुए जाट आंदोलन के लिए ठोस जमीन नहीं बन पा रही है। हरियाणा के उग्र आंदोलन को थामने के लिए केंद्र सरकार ने तत्काल पहल करते हुए जाट आंदोलनकारी नेताओं से तत्काल वार्ता शुरू कर दी।सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली1गन्ने की मिठास ने उत्तर प्रदेश में जाटों का उग्र आंदोलन होने से रोक लिया। चालू पेराई सीजन में गन्ने का संतोषजनक भुगतान से उनका आक्रोश ¨हसा में तब्दील नहीं हुआ। इसीलिए हरियाणा में ¨हसक आंदोलन के बावजूद उनके समर्थन में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाटों ने जहां तहां केवल प्रतीकात्मक प्रदर्शन किया। हरियाणा के जाटों से रोटी-बेटी का सीधा रिश्ता रखने वाले पश्चिम उत्तर प्रदेश में समर्थन तो दिया, लेकिन शांतिपूर्ण तरीके से प्रतीकात्मक आंदोलन चलाया।1उत्तर प्रदेश में जाटों को आरक्षण तो है, पर केंद्रीय नौकरियों में भागीदारी न मिलने से नाराजगी कम भी नहीं है। लेकिन, अदालत के आदेश के बावजूद उत्तर प्रदेश सरकार की यथास्थिति कायम रखने का सकारात्मक प्रभाव भी पड़ा है। हरियाणा में ¨हसक आंदोलन के बावजूद पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट तात्कालिक रूप से उग्र नहीं हुए। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति के जानकारों के मुताबिक इसकी मूल वजह संतोषजनक गन्ना भुगतान है। अगर गन्ना भुगतान पिछले साल की तरह का रहता तो किसानों की नाराजगी उग्र हो सकती थी। पिछले सप्ताह तक के भुगतान आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में चालू पेराई सीजन का कुल 3300 करोड़ रुपये की बकायेदारी रह गई है। जबकि पिछले साल गन्ना एरियर 12 हजार करोड़ रुपये से भी अधिक था। भुगतान न होने से गन्ना किसान आपे से बाहर हो रहे थे। लेकिन, चालू सीजन में जाट बहुल पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों के पास उग्र होने के लिए कोई वजह नहीं थी। उत्तर प्रदेश के किसानों का पिछले साल का कुल बकाया पांच सौ करोड़ रह गया है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीतिक पर नजर रखने वाले लखनऊ यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर सुधीर पंवार का कहना है कि जाट आरक्षण के मामले में राज्य सरकार की सकारात्मक नीति, गन्ना भुगतान की कारगर पहल और केंद्र की ओर से दिए गए आश्वासन को देखते हुए जाट आंदोलन के लिए ठोस जमीन नहीं बन पा रही है। हरियाणा के उग्र आंदोलन को थामने के लिए केंद्र सरकार ने तत्काल पहल करते हुए जाट आंदोलनकारी नेताओं से तत्काल वार्ता शुरू कर दी।