भारतीय चीनी मिलें 2015-16 के सीजन में 10 लाख टन चीनी बेचने का करार कर चुकी हैं। निर्यात की खेप चीन में पहुंचने की संभावना से इस सीजन में और 10 लाख टन निर्यात के सौदे पर हस्ताक्षर किए जा सकते हैं। इंडियन चीनी मिल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष तरुण साहनी ने आज यहां आयोजित एक सम्मेलन में बताया, '10 लाख टन का करार कर लिया गया है और अन्य 10 लाख टन का करार किया जाएगा।' करार वाली 10 लाख टन चीनी में से करीब सात लाख टन पहले ही देश से बाहर जा चुकी है। साहनी ने कहा कि वर्तमान और भविष्य के कई करार म्यांमार के साथ किए गए हैं। यहां से इस चीनी के दुनिया के सबसे बड़े आयातक चीन में तस्करी किए जाने की संभावना है। चीन की सीमाओं के साथ लगे म्यांमार और वियतनाम से कृषि उत्पादों की तस्करी लंबे समय से चली आ रही दिक्कत है। चीन के चीनी उद्योग ने सरकार से देश की दक्षिणी सरहद से होने वाली तस्करी से निपटने के लिए दरख्वास्त की है। हाल के महीनों में बड़ी मात्रा में सस्ती चीनी के गैर कानूनी तरीक से देश में आने की आशंका जताई जा चुकी है। साहनी ने यह भी कहा कि 2015-16 के सीजन में घरेलू चीनी उत्पादन 2.6 करोड़ टन पहुंच जाएगा। यह सीजन अक्टूबर से सितंबर तक चलता है। 2016-17 के सीजन में भी संभवत: उपज की यही मात्रा रहेगी। भारत ने 2014-15 के सीजन में 2.83 करोड़ टन चीनी का उत्पादन किया था। साहनी ने कहा, 'अभी कहना जल्दबाजी होगी, लेकिन लगता है कि इसमें घटत या बढ़त नहीं होगी।' उन्होंने कहा कि महाराष्टï्र और कर्नाटक की कमी उत्तर प्रदेश द्वारा पूरी किए जाने की संभावना है। तीन दशकों में एक के बाद एक आने वाले सूखे ने भारत के प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्यों - महाराष्टï्र, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश की खेती को बरबाद किया है।
भारत के एक अधिकारी ने पूर्व में अनुमान लगाया था कि दुनिया के दूसरे सबसे बड़े उत्पादक देश में कमजोर मानसून से गन्ने के हजारों हैक्टेयर के नुकसान से 2016-17 के सीजन की रोपाई में कमी का अर्थ है रकबे में एक-तिहाई की कमी की संभावना। साहनी ने कहा कि भारत इस चीनी वर्ष में पहली बार बेचे गए पेट्रोल में पांच प्रतिशत एथेनॉल के सम्मिश्रण के अपने लक्ष्य को हासिल कर लेगा और इससे भी आगे बढ़ जाएगा। उन्होंने कहा, 'हम पांच प्रतिशत के एथेनॉल सम्मिश्रण को पार कर सकते हैं।'