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मौसम ने बढ़ाई चीनी मिलों की मिठास
Date: 21 Jan 2016
Source: Business Standard
Reporter: अजय मोदी और संजीव मुखर्जी
News ID: 5191
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उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों के अच्छे दिन आने वाले हैं। एक तरफ गन्ने की कीमतों में बढ़ोतरी नहीं की गई है, वहीं चीनी मिलें प्रति क्विंटल 7 प्रतिशत अधिक पेराई कर रही हैं। दरअसल राज्य में अच्छी गुणवत्ता वाले गन्ने का रकबा बढऩे और अपेक्षाकृत गरम मौसम रहने के कारण ऐसा संभव हो पाया है। राज्य की चीनी मिलें आम तौर पर महाराष्ट्र की चीनी मिलों से गन्ना उत्पादन में पीछे रही हैं। 
 
इस साल शीत ऋतु में तापमान अधिक नहीं गिरने से गेहूं और सरसों की फसलों को नुकसान पहुंचा है, लेकिन गन्ने के लिए यह वरदान साबित हुआ है। अक्टूबर 2015 में शुरू हुए चीनी सत्र में औसत चीनी प्राप्ति (गन्ना पेराई से प्राप्त चीनी का प्रतिशत) 10.25 प्रतिशत के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच सकती है। यह पिछले साल के मुकाबले 7 प्रतिशत से अधिक रह सकती है। 18 जनवरी तक रिकवरी करीब 10.09 प्रतिशत रही है।
 
त्रिवेणी इंजीनियरिंग ऐंड इंडस्ट्रीज के वाइस चेयरमैन तरुण साहनी कहते हैं, 'गन्ना कीमतें अपरिवर्तित रहने के बाद पिछले साल के मुकाबले उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों के लिए उत्पादन लागत कम रह सकती है। गन्ने की किस्मों में बदलाव और अनुकूल मौसम रहने के कारण रिकवरी बढऩा तय है।' कंपनी की उत्तर प्रदेश में सात चीनी मिलें हैं। पिछले कुछ वर्षों से भारत में चीनी उत्पादन जबरदस्त रहा है, जिससे कीमतें निचले स्तर पर चली गई हैं और चीनी मिलें गन्ना किसानों को उनका बकाया भुगतान करने में असमर्थ रही हैं। पिछले साल राज्य की चीनी मिलों ने प्रति क्विंटल गन्ने से 9.55 किलोग्राम चीनी प्राप्त की थी। समान गुणवत्ता वाले गन्ने से उन्हें 10.25 किलोग्राम चीनी की प्राप्ति होगी, यानी यह पिछले साल के मुकाबले 700 ग्राम अधिक होगी।  
 

चीनी की मात्रा ऐसे समय में बढ़ी है जब इसकी कीमतों में सुधार देखा जा रहा है। पिछले एक साल यानी 1 जनवरी 2015 से 20 जनवरी 2016 तक चीनी की थोक कीमतें 200-400 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ गई हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों को भुगतान होने वाली गन्ने की कीमत 280 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर अपरिवर्तित रखी है। सिंभावली शुगर्स के निदेशक संजय तापडिय़ा कहते हैं, 'गन्ने की किस्में बदलने के लिए चीनी मिलों और किसानों ने मिलकर काम किया है। अधिक उत्पादन और चीनी अधिक प्राप्त होने से दोनों को फायदा हुआ है। संतुलित वर्षा से भी गन्ने की फसल को मदद मिली है।' रिकवरी 0.5 से 0.7 प्रतिशत अधिक होने से चीनी से प्राप्त होने वाला राजस्व 5-6 प्रतिशत बढ़ सकता है। इनमें से ज्यादातर कंपनियों के शुद्ध मुनाफे का हिस्सा बनेगा। अधिकारियों ने कहा कि 2015-16 सत्र में उत्तर प्रदेश में 4 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में गन्ने की सीओ-0238 किस्म लगाई गई है। यह आंकड़ा 2014-15 के मुकाबले 55-56 प्रतिशत अधिक है।               

 
  

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