सरकार द्वारा नियंत्रित भारतीय जूट निगम (जेसीआई) की ओर से कच्चे जूट की व्यावसायिक खरीद ने इसकी कीमतें और बढ़ा दी हैं। कच्चे जूट की कीमतें अपने अभूतपूर्व स्तर 54 हजार रुपये प्रति टन तक पहुंच चुकी हैं जो पिछले साल की 27 हजार रुपये प्रति टन की तुलना में दोगुनी हैं। मिल मालिकों और व्यापारियों को लग रहा है कि जेसीआई द्वारा इस व्यावसायिक हस्तक्षेप से कच्चे जूट की कीमतें 60 हजार रुपये प्रति टन के स्तर तक पहुंच जाएंगी।
इंडियन जूट मिल्स एसोसिएशन (आईजेएमए) के अध्यक्ष मनीष पोद्दार ने कहा, 'ऐसे बाजार में जहां फसल में कमी का पूर्वानुमान हो, जेसीआई व्यावसायिक खरीद से हस्तक्षेप कर रहा है। इससे कच्चे जूट की कीमतें और बढ़ जाएंगी। जेसीआई कच्चा जूट जमा करने जैसा काम कर रहा है। जेसीआई द्वारा इस व्यावसायिक खरीद को लेकर हम कपड़ा मंत्रालय में एक अभिवेदन पेश करने जा रहे हैं।' जेसीआई ने असम और पश्चिम बंगाल में कच्चे जूट की व्यावसायिक खरीद की अधिप्राप्ति कर ली है। इसने प्रति टन 50 हजार रुपये के आधार मूल्य पर असम में 500 टन और पश्चिम बंगाल में सौ 100 टन खरीद की है।
चालू वर्ष में कच्ची जूट का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 27 हजार रुपये प्रति टन हैं, जबकि बाजार में इसकी कीमत दोगुनी यानी 54 हजार रुपये प्रति टन है। बी ट्विल टाट-बोरी की कीमत अब तक के सबसे ऊंचे स्तर 77 हजार रुपये प्रति टन तक पहुंच चुकी हैं, जबकि हेशियन की कीमत एक लाख रुपये प्रति टन से ऊपर चली गई है। मिलों के लिए कच्ची जूट की भंडारण सीमा निश्चित करने की जूट आयुक्त की पहल के बावजूद कीमतें बढ़ी हैं।