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चीनी उपकर 100 रुपये बढ़ाने की तैयारी
Date: 14 Dec 2015
Source: Business Standard
Reporter: संजीव मुखर्जी
News ID: 5050
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केंद्र सरकार ने मिलों द्वारा बेची जाने वाली चीनी पर उपकर में करीब 100 रुपये प्रति क्विंटल का इजाफा करने की योजना बनाई है। सरकार इस पैसे का इस्तेमाल गन्ना किसानों के खातों में सीधे 4.5 रुपये प्रति क्विंटल भेजने की अपनी महत्त्वाकांक्षी योजना के लिए करेगी। खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने पिछले सप्ताह लोक सभा में चीनी उपकर (संशोधन) विधेयक, 2015 पेश किया था, जिससे केंद्र को ऐसे उपकर की सीमा वर्तमान 25 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 200 रुपये करने की शक्ति मिलेगी। इस समय केंद्र सरकार चीनी पर 24 रुपये प्रति क्विंटल की दर से लगाती है, जबकि इसकी अधिकतम सीमा 25 रुपये प्रति क्विंटल है। 

अधिनियम में संशोधन से सरकार वास्तविक उपकर को बढ़ाकर 124 रुपये प्रति क्विंटल कर पाएगी, क्योंकि उसके बाद केंद्र को 200 रुपये प्रति क्विंटल तक का उपकर लगाने की शक्ति मिल जाएगी। अधिकारियों ने कहा कि सरकार ने 100 रुपये प्रति क्विंटल उपकर बढ़ाकर करीब 2,500 करोड़ रुपये जुटाने की योजना बनाई है। यह राशि केंद्र के 4.50 रुपये प्रति क्विंटल का उत्पादन प्रोत्साहन देने से पडऩे वाले खर्च की भरपाई के लिए पर्याप्त होगी। 

उत्पादन प्रोत्साहन पर नकदी हस्तांतरण का सालाना खर्च करीब 1,147 करोड़ रुपये आने का अनुमान है। हालांकि सूत्रों ने कहा कि चीनी पर 100 रुपये प्रति क्विंटल के भारी-भरकम उपकर से इसकी खुदरा कीमतों में इजाफा नहीं होगा, क्योंकि उपकर तभी संग्रहित किया जाएगा, जब खुदरा कीमतें कम होंगी। उत्पादन से संबंधित प्रत्यक्ष प्रोत्साहन तभी किसानों के खातों में हस्तांतरित किया जाएगा, जब कीमतें कम होंगी और मिलें किसानों को भुगतान की स्थिति में नहीं होंगी। संसद में संशोधन के लिए रखे गए विधेयक में कहा गया है, 'किसानों को गन्ने के बकाया का समय से भुगतान सुनिश्चित करने के लिए बढ़ती देनदारियां और वित्तीय हस्तक्षेपों के कारण उपकर की दर में बढ़ोतरी जरूरी हो गई है।'

पिछले महीने एक बड़ी पहल करते हुए आर्थिक मामलों की केंद्रीय कैबिनेट कमेटी (सीसीईए) ने अक्टूबर से शुरू हुए सीजन 2015-16 के लिए गन्ना किसानों को 4.5 रुपये प्रति क्विंटल की उत्पादन सब्सिडी सीधे उनके खाते में भेजने का फैसला किया था। इस पहल से नकदी की किल्लत झेल रही मिलों को बढ़ते बकाया का भुगतान करने में मदद मिलेगी क्योंकि अब उन्हें 230 रुपये प्रति क्विंटल की उचित एवं लाभकारी कीमत (एफआरपी) से इतनी कम राशि चुकानी होगी। मिलों पर अब भी किसानों के करीब 6,500 करोड़ रुपये बकाया हैं। 

एक मोटा आकलन दर्शाता है कि देश में गन्ने की औसत प्रति हेक्टेयर उत्पादकता करीब 700 क्विंटल को देखते हुए इस सीजन में प्रत्येक किसान परिवार को केंद्र सरकार से 2,000 रुपये से अधिक सीधे मिल सकते हैं।  इस पहल से केंद्र सरकार पर सब्सिडी का बोझ करीब 1,147 करोड़ रुपये आएगा, जिसकी भरपाई चीनी उपकर से करने का फैसला लिया गया है। चीनी उपकर से आने वाले पैसे को चीनी विकास फंड (एसडीएफ) में डाला जाएगा।

 
  

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