लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। गन्ने का पेराई सत्र शुरू होने से पहले उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों को तगड़ा झटका लगा है। तेल कंपनियां एथनाल उत्पादन के लिए 26 राज्यों को प्रोत्साहित करते हुए खरीद का करार करने जा रही हैं, इस सूची में यूपी शामिल नहीं है। यूपी में हर साल 100 करोड़ लीटर एथनाल का उत्पादन हो रहा है, उसमें 40 करोड़ लीटर अन्य राज्यों में निर्यात होता रहा है। तेल कंपनियों की नीति से चीनी उद्योग पर खतरा मंडरा रहा है।
केंद्र सरकार ने 2016 में चीनी उद्योग को एथनाल उत्पादन का विकल्प दिया, ताकि क्रूड आयल की आयात निर्भरता घटे, पर्यावरण प्रदूषण से निजात मिले। गन्ना उत्पादन में अग्रणी यूपी के चीनी उद्योग ने इसे हाथों-हाथ लिया, 43 आसवनियों में तेजी से एथनाल का उत्पादन हुआ। तेल कंपनियों के उम्दा व समय पर भुगतान करने से बकाया गन्ना मूल्य चुकाया गया और उद्योग के दिन बहुरे।
27 अगस्त को तेल कंपनियों ने एक्सप्रेशन आफ इंट्रेस्ट (ईओआइ) जारी करके एथनाल खरीद का करार के लिए निविदा मांगी। इंडियन आयल कारपोरेशन लिमिटेड, भारत पेट्रोलियम कारपोरेशन लिमिटेड व हिंदुस्तान पेट्रोलियम कारपोरेशन लिमिटेड की ओर से जारी टेंडर में उन 26 राज्यों से 477.50 करोड़ लीटर खरीद का लक्ष्य तय किया है, जो गन्ना उत्पादन में काफी पिछड़े हैं। उत्तर प्रदेश का चीनी उद्योग उम्मीद संजोए था कि यूपी का लक्ष्य 100 करोड़ लीटर से अधिक होगा, जबकि सूची में उसका नाम नहीं है, महाराष्ट्र से भी केवल दो करोड़ लीटर खरीद होनी है। यूपी शुगर मिल एसोसिएशन अध्यक्ष सीबी पटोदिया ने केंद्र सरकार के संयुक्त सचिव शुगर को पत्र भेजकर सख्त नाराजगी जताई है। प्रधानमंत्री कार्यालय, पेट्रोलियम व खाद्य मंत्रालय के अलावा प्रदेश के मुख्य सचिव, गन्ना आयुक्त आदि को पत्र भेजकर हस्तक्षेप करने की मांग की गई है।
शीरे से बनने वाली एथनाल का रास्ता भी रोका : तेल कंपनियों ने शीरे से बनने वाली एथनाल का रास्ता भी रोका है, करार में उन उद्योगों को वरीयता मिलेगी जो अनाज से एथनाल बनाते हैं। मक्का से बनने वाले एथनाल को 20 अंक, मक्का व चावल सम्मिश्रण को 15, चावल से उत्पादित को 10 अंक मिलेंगे। सिर्फ पांच अंक अन्य उत्पाद वाले एथनाल को मिलेंगे। यूपी में शीरे से एथनाल बन रही है, चीनी उद्योग अन्य राज्यों को भी आपूर्ति नहीं कर सकेगा, क्योंकि वे मूल्यांकन पीछे होंगे।
पुराने परेशान, नए उद्योग अधर में : यूपी शुगर मिल्स एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी दीपक गुप्तारा ने बताया कि प्रदेश में हर साल 100 करोड़ लीटर एथनाल तैयार हो रही है। राज्य में इसकी खपत करीब 60 करोड़ लीटर है। शेष पश्चिम बंगाल, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, छत्तीसगढ़ आदि में भेज रहे थे। करार के बाद 40 करोड़ लीटर एथनाल बर्बाद होगा। यूपी के चीनी उद्योग को करीब पांच हजार करोड़ का घाटा होने का अनुमान है। चीनी उद्योग अभी बैंकों के कर्ज से उबर नहीं पाई है। करीब 17 और उद्योगों ने बैंकों से ऋण लेकर कदम बढ़ाया है। अब वे सब संकट में घिर सकते हैं।