नई दिल्ली, 09 सितम्बर (हि.स.)। भारत अगले महीने से शुरू होने वाले नए चीनी सत्र 2021-22 में वैश्विक बाजार में चीनी की ऊंची कीमत लाभ उठाते हुए 60 लाख टन चीनी का निर्यात कर सकता है। चीनी उद्योग के प्रमुख संगठन भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) ने गुरुवार को यह बात कही। गौरतलब है कि भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादक देश है।
इस्मा ने जारी एक बयान में कहा कि देश ने मौजूदा चीनी सत्र 2020-21 के (अक्टूबर-सितंबर) के पहले 11 महीनों में करीब 66.7 लाख टन चीनी का निर्यात किया है, जो कि इससे पिछले साल किए गए 55.7 लाख टन के निर्यात से कहीं ज्यादा है। चीनी उद्योग संगठन का मानना है कि मौजूदा चीनी सत्र में कुल चीनी निर्यात 70 लाख टन के पार हो सकता है।
इस्मा के मुताबिक इस महीने खत्म हो रहे चीनी सत्र 2020-21 में अगस्त तक देश ने 66.7 लाख टन चीनी का निर्यात किया है। इसमें से 62.2 लाख टन खाद्य मंत्रालय के निर्धारित कोटे के तहत और कुछ मात्रा खुले सामान्य लाइसेंस प्रक्रिया के अंतर्गत निर्यात की गई। चीनी मिल संघ ने कहा कि 6 सितंबर तक 2,29,000 टन चीनी बंदरगाहों पर थी, जिसका या तो जहाजों पर लदान हो गया था या जो मालवाहक पोतों के इंतजार में गोदामों में पड़ी थी।
भारतीय चीनी मिल संघ ने कहा कि इसका मतलब यह होगा कि मौजूदा चीनी सत्र में 20 दिन और बचे होने से चीनी का कुल निर्यात 70 लाख टन के पार हो सकता है। इस्मा ने कहा कि कुल चीनी के निर्यात में भारत से 34.2 लाख टन कच्ची चीनी, 25.6 लाख टन सफेद चीनी और 1,88,000 टन परिष्कृत चीनी का निर्यात किया गया। इस्मा ने कहा कि ब्राजील में उत्पादन में संभावित गिरावट की वजह से अगले चीनी सत्र में वैश्विक बाजार में चीनी की कमी की संभावना है, जिससे इसकी वैश्विक कीमतें चार साल के उच्च स्तर लगभग 20 सेंट प्रति पौंड पर चल रही हैं।
भारतीय चीनी मिल संघ का मनना है कि भारतीय चीनी मिलों के पास अगले कुछ महीनों में ब्राजील की चीनी बाजार में आने से पहले अपनी अधिशेष चीनी का निर्यात करने का अच्छा अवसर होगा। इस्मा ने कहा कि कई चीनी मिलों ने आगामी सत्र में निर्यात के लिए वायदा अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं। इसलिए यह माना जा रहा है कि भारतीय चीनी मिलें इस अवसर का लाभ उठाएंगी और अगले चीनी सत्र में भी 60 लाख टन तक चीनी का निर्यात करने की स्थिति में होंगी।